24 अगस्त 2013

गुणवत्‍ता वर्ष का काम पानी में बहा....



बडे दिनों बाद ब्‍लाग लिख रहा हूं..... पहले कुछ व्‍यक्तिगत और फिर तकनीकी कारणों से अचानक ब्‍लाग लेखन से दूर हो गया था और फिर ऐसा व्‍यस्‍त हुआ कि कई विषय चूक गए, लिख ही नहीं पाया.... आज से फिर वापसी हो रही है.... इस उम्‍मीद के साथ कि अब यह काम नियमित चलता रहेगा...... 

फोटो : अमित चटर्जी 

मुख्‍यमंत्री ने अपने विधानसभा क्षेत्र में पिछले साल जुलाई में करीब 13 करोड रूपए की लागत से शिवनाथ नदी पर बने एक पुल का लोकार्पण किया था और इस अगस्‍त में यानि कल इस पुल के एप्रोच रोड को शिवनाथ नदी ने उसकी औकात बता दी..... बह गया एप्रोच रोड!!!!! मुझे नहीं लगता ठेकेदार ने इतनी लापरवाही सिर्फ अपनी कमाई के लिए की होगी.... उपर से नीचे तक के अफसरों और फिर नेताओं को कमीशन बांटने वाले ठेकेदारों से इमानदारी से काम की उम्‍मीद हम कैसे कर सकते हैं?
मुख्‍यमंत्री के लोकार्पण के दस दिन के भीतर ही इस सडक पर गडढे हो गए थे, जिसके बाद कांग्रेस ने इन गडढों पर धान का रोपा लगाकर विरोध जताया था.... इस विरोध के बाद जांच की बात की गई लेकिन जांच में क्‍या हुआ यह पता नहीं चल पाया और अब जब सडक बारिश में बह गई है, एक बार फिर जांच शुरू हो गई है। महाराष्‍ट्र के कोटगुल से लगे गोंडरी पहाडी से निकलने वाली शिवनाथ नदी राजनांदगांव के वनांचल से होते हुए राजनांदगांव शहर और फिर दुर्ग की ओर जाती है। यह इस जिले की जीवनदायिनी नदी है लेकिन इन दिनों इसके गुस्‍से से सब सहमे हुए हैं।
एक बात और... चुनाव नजदीक है, इसलिए मुख्यमंत्री के विधानसभा क्षेत्र में प्रदेश के पहले एस्‍ट्रोटर्फ स्‍टेडियम के निर्माण का काम भरे बरसात में चल रहा है.... बरसते पानी में सीमेंटीकरण हो रहा है, डामरीकरण जारी है..... आचार संहिता के पहले मुख्‍यमंत्री इसका भी लोकार्पण जैसे तैसे कर देंगे..... हां उनके लिए सुकून की बात यह हो सकती है कि अगले साल यदि यह भी बारिश की भेंट चढा तो भी, इससे चुनावी फायदा तो तब तक मिल ही जाया रहेगा उनको.......!!!
राजनांदगांव छत्‍तीसगढ का सबसे वीआईपी जिला है। वीवीआईपी कहें तो भी गलत नहीं होगा। 13 साल की उमर वाले छत्‍तीसगढ का पिछले दस सालों से मुख्‍यमंत्री इसी जिले से जो है। पहले पांच साल जिले के डोंगरगांव का विधायक मुखिया रहा और फिर अब राजनांदगांव विधानसभा का विधायक प्रदेश का मुखिया है। डा रमन सिंह के रूप में। लोगों को लगता होगा, प्रदेश का मुखिया जिस जिले का है, वहां की तो बल्‍ले-बल्‍ले होगी, लेकिन क्‍या वास्‍तव में ऐसा है। न्‍यूज चैनलों में सरकार की तारीफों के पुल बांधते हुए कई विज्ञापन रोज चल रहे हैं, एक विज्ञापन देखा, राजनांदगांव जिले और राजनांदगांव शहर की तरक्‍की को लेकर तो सोचने लगा कि क्‍या वास्‍तव में दृश्‍य ऐसा ही है.... जो मैं देख रहा हूं, महसूस कर रहा हूं, क्‍या वह मेरा वहम है....मेरी नजर में जो दिख रहा है... जो मैं महसूस कर रहा हूं.... काश वह वहम ही होता... पर जनाब हकीकत ऐसा नहीं है....... जहां नजर दौडाऊं.... कमियां ही दिखती हैं, कहीं से नहीं लगता कि मुखिया का जिला है!  बुरा लगे तो मुझे माफ करना डाक्‍टर साहब, पर हकीकत वही है.... जो शायद आपको नहीं दिखती या आप देखना नहीं चाहते.... शायद इसीलिए आपने पिछली बार अपना विधानसभा क्षेत्र बदल लिया था और शायद अब भी.....

4 टिप्‍पणियां:

  1. आखिर कब तक ?
    या तो काम होता नहीं ...हो तो उसकी स्तरीयता का कोई भरोसा ही नहीं....

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  2. ये तो होना ही था !
    नहीं होगा तो काम कैसे चलेगा !
    उत्तराखंड में भी यही हो रहा है
    ये सब फिर से कह रहा है
    भारत में हर जगह एक सा ही
    तो हो रहा है फिर भी तू खुश
    पता नहीं क्यों नहीं हो रहा है !

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  3. नेताओं को कमीसन चाहिए,गुणवत्ता कोई मतलब नही,,,
    काफी दिनों बाद आपकी पोस्ट पढ़कर अच्छा लगा,,,,आभार अतुल जी

    RECENT POST : सुलझाया नही जाता.

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  4. सुन्दर प्रस्तुति आभार। हिंदी ब्लॉगर्स चौपाल {चर्चामंच} की पहली चर्चा हिम्मत करने वालों की हार नहीं होती -- हिंदी ब्लॉगर्स चौपाल चर्चा : अंक-001 में आपका सह्य दिल से स्वागत करता है। कृपया पधारें, आपके विचार मेरे लिए "अमोल" होंगें | आपके नकारत्मक व सकारत्मक विचारों का स्वागत किया जायेगा | सादर .... Lalit Chahar

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