28 जून 2012

भारत के नक्‍शे में करांची और पाकिस्‍तान...

सरबजीत सिंह
एक पुरानी कहावत है, चोर चोरी से जाए, पर हेराफेरी से न जाए। पाकिस्तान का भी यही हाल है। किसी समय भारत की दया पर जिंदा रहने और भारत की वजह से ही अपने वजूद को हासिल करने वाले पाकिस्तान ने समय-समय पर अपनी कमीनी हरकतों से दुनिया को रू ब रू कराया है और इस समय भी जब उम्मीद की जा रही थी कि वह सद्भावना के रास्ते को आगे बढ़ाने का काम करेगा, उसने अपनी हरकतों से अपनी औकात और अपनी जात बताने का काम किया है।
कुछ दिनों पहले भारत ने अजमेर की एक जेल में बंद पाकिस्तानी वैज्ञानिक खलील चिश्ती को रिहा किया था। हालांकि पहले दोनों देशों के बीच यह  तय हुआ था कि चिश्ती को भारत से रिहा किया जाए और बदले में पाकिस्तान अपनी जेल में बंद भारतीय सबरजीत सिंह को रिहा करेगा। यह रिहाई अगस्त 2014 में होनी थी। उस समय यह काम रूक गया था और बाद में इस पर फिर विचार किया गया। दोनों देश के राजनयिकों के बीच बात हुई और आखिरकार चिश्ती को भारत ने रिहा कर दिया। भारत के इस कदम का  अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्वागत किया गया और इसके बाद इंतजार किया जाता रहा कि पाकिस्तान भी सबरजीत को रिहा करेगा।
मंगलवार को ही यह खबर आई कि पाकिस्तान सबरजीत को रिहा करने वाला है और उसकी फांसी की सजा को पाकिस्तानी राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी ने उम्र कैद में तब्दील कर दी है। इस फैसले के बाद 22 सालों से पाकिस्तान के जेल में रह रहे सबरजीत की रिहाई की उम्मीद बढ़ गई। मंगलवार शाम और रात तक इस बात के कयास लगाए जाते रहे कि सबरजीत सिंह एक-दो दिन में रिहा होकर वतन लौट आएंगे, पाकिस्तानी सरकार ने भी इस संबंध में सकारात्मक जवाब ही दिया था, लेकिन कहते हैं कि हरामखोरी जाती नहीं। पाकिस्तान ने देर रात साफ कर दिया कि सबरजीत सिंह रिहा नहीं होंगे।
पाकिस्तान के इस धोखेबाजी भरे फैसले से पूरा हिंदूस्तान हतप्रभ है। मंगलवार की शाम से आ रही खबरों से उत्साहित और खुश सरबजीत के परिवार के लोग उस समय अवाक रह गए जब देर रात पाकिस्तान की ओर से खबर आई कि सरबजीत को रिहा नहीं किया जाएगा। पाकिस्तान ने सरबजीत के बजाय करीब 30 सालों से पाकिस्तान के जेल में रह रहे सुरजीत सिंह को रिहा करने की बात की है। सुरजीत सिंह का रिहा होना भी उसके परिवार के लिए एक अच्‍छी खबर है लेकिन सोमवार रात से रिहाई की आस लगाए सरबजीत के परिवार पर यह धोखा कुठाराधात की तरह है।
बताते हैं कि पाकिस्तानी सरकार ने सरबजीत की रिहाई के फैसले को इस वजह से बदला क्योंकि सरबजीत की रिहाई होने पर पाकिस्तान में एक तबके ने विद्रोह की चेतावनी दी थी। पाकिस्तान की सरकार अपने आवाम की उस नाजायज बात पर अपने वादे से मुकर गई,  जो उसे सरासर दोगला बता सकता था।
 मेरा मानना है कि पाकिस्तान भरोसे के काबिल देश है ही नहीं। हरामखोरों की फौज यहां भरी पड़ी है। जिस समय दोनों देशों के नेता (भारत की ओर से तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और पाकिस्तान के तत्कालीन राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ) शिमला में दोनों देशों में शांति-सौहाद्र पर बात कर रहे थे, यह नापाक देश करगिल में हमले की योजना बना रहा था। हर बार युद्ध के मैदान में भारत से धूल चाट चुके पाकिस्तान ने करगिल में भी मात खाई।
युद्ध किसी भी मसले का हल कतई नहीं होता, लेकिन मेरा मानना है कि जो भूत बातों से नहीं मानते, उनको लातों से ही मनाना चाहिए। पाकिस्तान को एक बार फिर करारा जवाब देना चाहिए और कड़े फैसले लेकर एक बार में सारे विवाद हल कर देने चाहिए। फिर भारत के नक्शे में इस्लामाबाद और कराची भी शामिल हो जाएगा।

8 टिप्‍पणियां:

  1. Atul You have expressed the frustration which every Indian may be feeling. But the fault lies with our diplomacy. Our Govt. knows the behaviour pattern of Pak. for the last so many years and yet did a unilateral hand over. Diplomacy is an art which Indian leaders can never learn. The last good leader in this respect, surprisingly, was Indira Gandhi.

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  2. सहमत हूँ आपसे....अफ़सोस कि हमारे यहाँ भी राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी है.....

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  3. आपने सही कहा चोर चोरी से जाए, पर हेराफेरी से न जाए। पाकिस्तान को इस वादा खिलाफी के लिए सबक
    सिखाना चाहिए,

    MY RECENT POST काव्यान्जलि ...: बहुत बहुत आभार ,,

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  4. सहमत हूँ आपकी बात से..
    एक बार में ही कड़े फैसले लेकर सारे विवादों को दूर कर देना चाहिए..

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  5. बिलकुल सही कहा है...विचारणीय प्रस्तुति....

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  6. बहुत अच्छा ..विचार ....atul ji aap hume yaad hai ...

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  7. बिलकुल सही कहा है....अतुल जी आपने

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