जन अदालत में मारा गया नक्सली (तस्वीर धुंधली कर दी गई है) |
मुझे याद आ रहा है राजनांदगांव जिले में नक्सलियों की कई जन
अदालतों की बात... बस्तर में लगने वाली नक्सलियों की अदालतें.... उडीसा में नक्सलियों का खून खराबा और आंध्र
में नक्सली दहशत.... इन अदालतों के बाद गांवों में बिखरा सन्नाटा... दहशत...
आंसू और दर्द....
इन जन अदालतों के बाद की तस्वीर वाकई दर्दनाक होती है.... इस
तरह की जन अदालतों में नक्सली अक्सर निर्दोष ग्रामीणों की सजा मुकर्रर करते हैं
और फिर उन्हें अपने ही अंदाज में सजा सुनाते हैं... सजा क्या सुनातें हैं, मौके
पर ही सजा दे भी देते हैं और नक्सलियों की सजा क्या होती है.... सजा ए मौत!!!!!!!!! .... और
इन जन अदालतों की खबरें अखबारों में सुर्खियां भी बटोरती हैं, लेकिन तस्वीर का
दूसरा पहलू बडा दर्दनाक होता है, यह पहलू होता है, जन अदालतों में ‘’सजा’’ पाने
वाले शख्स के परिवार का दर्द....
जन अदालत में मारा गया नक्सली (तस्वीर धुंधली कर दी गई है) |
गिनती के नक्सली, उंगलियों में गिने जाने वाले हथियारबंद
नक्सली अक्सर गाँवों में "जन अदालत" लगाते हैं और निरीह
ग्रामीणों को अपने ही अंदाज में "सजा" देकर मौत के घाट उतार देते हैं...ऐसी
कई घटनाएं होती हैं, एक नहीं कई घटनाएं.... न सिर्फ राजनांदगांव, न सिर्फ बस्तर
और न सिर्फ उडीसा..... हर उस क्षेत्र में जहां नक्सलियों का थोडा बहुत भी प्रभाव
है...... कोई विरोध नहीं करता..... हर घटना के बाद पुलिस की फाईल में एक अपराध और
जुड जाता है, उन नक्सलियों के खिलाफ जो अपने ‘’काले कानून’’ के दम पर दहशत का राज
कायम करने की कोशिश करते हैं.....
पर.....
पर एक खबर आंध्रप्रदेश के विशाखापट्नम जिले और उडीसा जिले के
मलकानगिरी जिले की सीमा पर स्थित गांव कोरुकोन्दा से आई है, जहाँ
"जन अदालत" लगाकर एक ग्रामीण को मारने वाले तीन नक्सलियों की उत्तेजित ग्रामीणों
ने पीट-पीट कर हत्या कर दी!!! इस खबर ने उम्मीद की लौ जगा दी है..... है यह भी हत्या.....
किनके लिए.... मानवाधिकार की बात कहकर गला फाडकर चिल्लाने वालों के लिए यह हत्या
है, लेकिन यह एक बदलाव के संकेत हैं... उन लोगों के लिए बदलाव के संकेत हैं, जिन्होंने
नक्सलियों के काले कानून को करीब से देखा है, जिन्होंने अपने करीबियों को नक्सलियों
के हाथों काल का शिकार होते देखा है......
कोरूकोंदा से आई यह खबर अपने आप में महत्वपूर्ण है, चंद नक्सलियों से सिर्फ भय और दहशत के कारण आतंक सहने वाले ग्रामीण यदि ऐसे ही साहस का परिचय देने लगें तो नक्सल आतंक का खात्मा होने की तारीख नजदीक ही नजर आती है.....
कोरूकोंदा से आई यह खबर अपने आप में महत्वपूर्ण है, चंद नक्सलियों से सिर्फ भय और दहशत के कारण आतंक सहने वाले ग्रामीण यदि ऐसे ही साहस का परिचय देने लगें तो नक्सल आतंक का खात्मा होने की तारीख नजदीक ही नजर आती है.....
दरअसल, घटनाक्रम इस प्रकार है कि वीवावरम जिले के एक 38 साल
के व्यक्ति जेमेली संजीव राव की नक्सलियों ने जोहार घाटी में जन अदालत लगाकर हत्या
कर दी। बाईक में आए नक्सलियों ने इस व्यक्ति पर अपनी ‘’अदालत’’ में आरोप तय किए
और उसे मार डाला और इसके बाद जो कुछ हुआ, वह तो ग्रामीणों के साहस की मिसालें देने
लायक रहा.... ग्रामीण उत्तेजित हो गए और उन्होंने इस नक्सलियों की पीट पीटकर
हत्या कर दी! इस मामले में तीन नक्सलियों के मारे जाने की खबर है, एक
एरिया कमांडर गणपति और दूसरा ज्ञानेश्वर राव और तीसरी सारदा नाम की महिला नक्सली। इन नक्सलियों के पास से एक एके 47 सहित तीन
हथियार बरामद किया गया है। पुलिस अफसरों ने नक्सलियों के शवों को रिकवर कर लिया
है और ग्रामीणों के खिलाफ किसी तरह का मुकदमा कायम नहीं किया गया है..... उनके
हौसले की तारीफ की की जा रही है.....
बहरहाल, कोरूकोंदा ने ग्रामीणों ने एक मिसाल कायम की है.....
यह मिसाल की, यदि ग्रामीण चाह लें तो चंद नक्सली उन पर हुकूमत नहीं कर सकते.....
यदि बस्तर के सारे गांव... राजनांदगांव के सारे गांव कोरूकोंदा की तरह जज्बा
दिखाएं, उडीसा और आंध्र से चली यह हवा देश के नक्सल प्रभावित इलाकों तक बहने लगे
तो वह दिन दूर नहीं जब ‘’लाल आतंक’’ बीते दिनों की बात हो जाएगी.....
JARURAT HAI ..IS TARAH KE BADLAW KI
जवाब देंहटाएंYe pahal pahli aur aakhiri nhi honi chahiye... Aasha karti hun log jaage jaane aur utha le apni raksha swayam karne ka beda....naksali duaan ho jaaayenge.. Sunder prastuti...
जवाब देंहटाएंआभार रूपचंद शास्त्री जी
जवाब देंहटाएंसुनीता जी
लेखिका जी