जम्मू काश्मीर को लेकर सालों से तनाव का माहौल है और अभी हाल ही में गणतंत्र दिवस के मौके पर भारतीय जनता पार्टी की युवा इकाई के काश्मीर के लाल चौक पर तिरंगा फहराने के फरमान और इसके बाद जम्मू काश्मीर के मुख्यमंत्री और नेशनल काफ्रेंस के नेता उमर अबदुल्ला के इस पर दिए बयान के बाद पूरे देश में बवाल का माहौल रहा। एक नई बहस छिड गई कि जब काश्मीर भारत का हिस्सा है तो इस जगह पर राष्ट्र ध्वज क्यों नहीं फहराया जा सकता। उमर अब्दुल्ला को लेकर कई तरह के सवाल खडे हुए। इस बीच जब उमर के पिता और नेशनल काफ्रेंस के नेता जम्मू काश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री मौजूदा केन्द्र सरकार में मंत्री फारूख अबदुल्ला को सुनने का मौका मिला तो लगा कि वाह फारूख साहब आपने तो दिल जीत लिया।
छत्तीसगढ के राजनांदगांव जिले के चावरढाल गांव में गुरूवार को फारूख अबदुल्ला ही छाए रहे। इस गांव में सरकारी मदद से एक निजी कंपनी के सोलर पावर प्लांट के शिलान्यास के मौके पर पहुंचे फारूख साहब ने बडी बेबाकी से कहा कि जम्मू काश्मीर भारत का हिस्सा था, है और रहेगा। उन्होंने पाकिस्तान का नाम लिए बगैर कहा कि वहां नहीं जा रहे हैं, इसी भारत का हिस्सा हैं और पडौसी मुल्क यह बात अच्छी तरह जानता है, इसीलिए वह काश्मीर में तनाव पैदा करने का काम करता रहता है। वे कहते हैं कि पिछले 60 सालों से वे काश्मीर में ऐसे हालातों का सामना कर रहे हैं और आगे भी करेंगे। हालांकि वे कहते हैं कि काश्मीर में आतंकवाद कम हो गया है और जो बचा है उसे भी पडौसियों से बातचीत कर हल कर लिया जाएगा।
श्री अबदुल्ला का कहना है कि भारत की विविधता को देखकर लोग आश्चर्य करते हैं। इस देश में हिन्दु हैं। मुस्लिम हैं। सिख हैं। इसाई हैं। कई जाति धर्म है। एक इलाका ऐसा है जहां के लोगों को सर्दी के बारे में नहीं मालूम। दक्षिण का वह इलाका है जहां लोगो ने कभी सर्दी नहीं देखी। वे काश्मीर के हैं। उस इलाके में अभी भी बर्फ पड रही है। कई विविधताएं हैं इस देश में लेकिन उसके बाद भी एकता है। वे कहते हैं कि भारत में ईश्वर एक है। उसका नाम बस अलग है। जितना धर्म को मजबूत किया जाएगा, भारत उतना मजबूत होगा।
बहरहाल, कभी अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में मंत्री रहने और अब मनमोहन सरकार में भी मंत्री फारूख अबदुल्ला ने काश्मीर को लेकर जो बयान दिया है वह वाकई में काबिले तारीफ है। फारूख साहब आपने जो कहा हम उसका स्वागत करते हैं। आपके विचारों को सुनने के बाद ज्यादा कुछ कहने के बजाए इतना ही कहेंगे, ‘आमीन’।
बिलकुल सही कहा आपने। तिरंगा फहराना तो नौटंकी थी। आज जरूरत अमन चैन की है तिरंगा सरकारी तौर पर फहराया ही जा रहा था। शायद इन नेताओं को तिरंगा फहराने का अर्था ही मालूम नही। कब होगा ऐसी राजनिती का अन्त। भगवान जाने।
जवाब देंहटाएंआगे आगे देखिए होता है क्या?
जवाब देंहटाएंइसमें तो कोई शक नहीं।
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ब्लॉगवाणी: एक नई शुरूआत।
akhand Bharat akhand hi rahega .
जवाब देंहटाएंACHCHHI post .
बिलकुल सही कहा आपने, तिरंगे पर राजनीति बंद हो बस .
जवाब देंहटाएंफारुख अब्दुल्लाह जी की कही गयी बातें काबिले गौर हैं। निश्चय ही भारत की अखंडता कों बनाए रखने के लिए एक सकारात्मक कदम !
जवाब देंहटाएंक्या सचमुच आज भी भारत कि अखंडता कायम हैं....... मुझे तो .....
जवाब देंहटाएंजम्मू काश्मीर भारत का एक अंग है..जिसे फ़िरक़ापरस्त ताक़तें अलग-थलग करने की कोशिशों में लगे हुये हैं पर ज़रा फिल्मी हो रहा हुँ माफ करियेगा अतुल जी लेकिन धर्मेन्द्र पुत्र सन्नी दियोल साहब का एक डॉयलाग याद आ रहा है..
जवाब देंहटाएं"दूध मांगोगे तो खीर देंगे..और काश्मीर मांगोगे तो चीर देंगे"
आखिर हिन्दू खून ने फारुख जी के अन्दर देशभक्ति भर ही दी..
जवाब देंहटाएंस्मरण रहे की फारुख जी के दादा जी ने मुस्लिम धर्म अपनाया था.. पहले इनका परिवार हिन्दू था..
जय हिंद..जय श्री राम
इस मसले पर अब्दुल्ला परिवार का स्टेंड शुरू से ही स्पष्ट है !
जवाब देंहटाएंwakayi farookh abdulla nahi badale, yah jaan kar bahut khushi huyi,kyo ki 25 bars pahale maine inhe kolkatta ke ek jan sabha me aisa hi bhasan dete suna tha.
जवाब देंहटाएंआज हम भी आपके साथ इतना ही कहेंगे आमीन !
जवाब देंहटाएंबिलकुल सही कहा आपने| अखंड भारत अखंड ही रहेगा|
जवाब देंहटाएंआपके विचार महत्वपूर्ण हैं.
जवाब देंहटाएंमित्रों यहाँ कुछ लोग कह रहें है की फारुख अब्दुल्लाह नहीं बदले..और उनकी शुरू से यही राय रही है..
जवाब देंहटाएंएक घटना का वर्णन करना उचित है यहाँ जब फारुख अब्दुल्लाह जी मुख्यमंत्री थे उन्होंने अपनी गाड़ी पर जम्मू कश्मीर देश का अलग झंडा लगाया था जिसके कारण उनके साथ के NSG सुरक्षा गार्ड ने उनकी गाड़ी पर बैठना मना कर दिया .क्यूकि ये NSG प्रोटोकॉल में हैं की किसी और देश के झंडा लगी गाड़ी में नहीं बैठते हैं..
फारुख अब्दुल्लाह ने झंडा नहीं उतारा और लोकल पुलिस ले कर यात्रा की.. बाद में गृह मंत्रालय में शिकायत की और हमारे बिके हुए एक गृहमंत्री ने खेद प्रकट किया..
ये तो है अब्दुल्लाह जी का भारत प्रेम...
ये प्रेम अचानक क्यों जगा है?? क्यूकि जम्मू में उनकी पार्टी हार गयी है और कश्मीर में अलगाववादी समर्थित पार्टी की पकड़ है..नया तुक्का तो चलना ही था अपने बेटे की गद्दी बचाने के लिए...
चलो किसी मज़बूरी में ही सही कश्मीर को भारत का अभिन्न अंग माना तो उन्होंने..
तिरंगा राजनीति का नही हमारे मान का प्रतीक है ....
जवाब देंहटाएंकाश्मीर भारत का अटूट अंग है और रहेगा, यह तो हर भारतवासी जानता है। पूरी दुनिया जानती है, लेकिन इसे लेकर हर दफा राजनीति होती है। इस राजनीति का शिकार काश्मीर होता रहा है। धरती के इस स्वर्ग को लेकर जब फारूख साहब के विचारों से रूबरू होने का मौका मिला तो इसे आप सबसे बांटने की इच्छा हुई। इस पोस्ट में आपने अपने विचार रखे। इससे कई बातें जानने समझने मिलीं। जैसा कि आशुतोष जी ने बताया कि फारूख साहब ने किस तरह देश के झंडे को दरकिनार किया था। इनका परिवार पहले हिंदु था।
जवाब देंहटाएंकई तरह की बातें सामने आईं, पर एक बात और दबंगता के साथ सामने आई कि भारत देश अखंड है और तिरंगा हमारी आन बान शान का प्रतीक है।
आप सबका आभार कि आपने इस पोस्ट को आशीर्वाद दिया। आगे भी सहयोग की अपेक्षा के साथ।
जय हिंद।
काश्मीर भारत का अटूट अंग है और रहे
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