उसका नाम है रमली। वह कक्षा चार में पढती है। रोज सुबह स्कूल जाती है। पहले प्रार्थना के दौरान कतार में खडी होती है और फिर कक्षा में गिनती, पहाडा, अक्षर ज्ञान। इसके बाद मध्यान्ह भोजन बकायदा थाली में करती है। फिर और बच्चों के साथ मध्यांतर की मस्ती और फिर कक्षा में। स्कूल में वह किसी दिन नागा नहीं करती। रविवार या छुटटी के दिन स्कूल नहीं जाती, पता नहीं कैसे उसे स्कूल की छुटटी की जानकारी हो जाती है। रमली का मन पढाई में पूरी तरह लग गया है और अब उसने काफी कुछ सीख लिया है।
आप सोच रहे होंगे और बच्चे स्कूल जाते हैं, तो रमली भी जाती है। इसमें ऐसा क्या खास है कि यह पोस्ट रमली के स्कूल जाने, पढने पर लिखना पडा। दरअसल में रमली है ही खास। जानकर आश्चर्य होगा कि रमली कोई छात्रा नहीं एक चिडिया है। देखने में तो रमली पहाडी मैना जैसी है लेकिन वह वास्तव में किस प्रजाति की है इसे लेकर कौतूहल बना हुआ है। नक्सल उत्पात के नाम से प्रदेश और देश भर में चर्चित राजनांदगांव जिले के वनांचल मानपुर क्षेत्र के औंधी इलाके के घोडाझरी गांव में यह अदभुद नजारा रोज देखने में आता है।
इस गांव की प्राथमिक शाला में एक चिडिया की मौजूदगी, न सिर्फ मौजूदगी बल्कि शाला की हर गतिविधि में उसके शामिल होने ने इस गांव को चर्चा में ला दिया है। इस गांव के स्कूल में एक चिडिया न सिर्फ प्रार्थना में शामिल होती है बल्कि वह चौथी की कक्षा में जाकर बैठती है। अक्षर ज्ञान, अंक ज्ञान हासिल करती है और फिर जब मध्यान्ह भोजन का समय होता है तो बकायदा उसके लिए भी एक थाली लगाई जाती है। इसके बाद बच्चों के साथ खेलना और फिर पढाई। यह चिडिया खुद तो पढाई करती ही है, कक्षा में शरारत करने वाले बच्चों को भी सजा देती है। मसलन, बच्चों को चोंच मारकर पढाई में ध्यान देने की हिदायद देती है। अब इस चिडिया की मौजूदगी ही मानें कि इस स्कूल के कक्षा चौथी में बच्चे अब पढाई में पूरी रूचि लेने लगे हैं और बच्चे स्कूल से गैर हाजिर नहीं रहते।
इस चिडिया का नाम स्कूल के हाजिरी रजिस्टर में तो दर्ज नहीं है लेकिन इसे स्कूल के बच्चों ने नाम दिया है, रमली। रमली हर दिन स्कूल पहुंचती है और पूरे समय कक्षा के भीतर और कक्षा के आसपास ही रहती है। स्कूल की छुटटी होने के बाद रमली कहां जाती है किसी को नहीं पता लेकिन दूसरे दिन सुबह वह फिर स्कूल पहुंच जाती है। हां, रविवार या स्कूल की छुटटी के दिन वह स्कूल के आसपास भी नहीं नजर आती, मानो उसे मालूम हो कि आज छुटटी है।
इस स्कूल की कक्षा चौथी की छात्रा सुखरी से रमली का सबसे ज्यादा लगाव है। सुखरी बताती है कि रमली प्रार्थना के दौरान उसके आसपास ही खडी होती है और कक्षा के भीतर भी उसी के कंधे में सवार होकर पहुंचती है। उसका कहना है कि उन्हें यह अहसास ही नहीं होता कि रमली कोई चिडिया है, ऐसा लगता है मानों रमली भी उनकी सहपाठी है। शिक्षक जितेन्द्र मंडावी का कहना है कि एक चिडिया का कक्षा में आकर पढाई में दिलचस्पी लेना आश्चर्य का विषय तो है पर यह हकीकत है और अब उन्हें भी आदत हो गई है, अन्य बच्चों के साथ रमली को पढाने की। वे बताते हैं कि यदि कभी रमली की ओर देखकर डांट दिया जाए तो रमली रोने लगती है। घोडाझरी के प्राथमिक स्कूल में कुल दर्ज संख्या 29 है जिसमें 13 बालक और 16 बालिकाएं हैं, लेकिन रमली के आने से कक्षा में पढने वालों की संख्या 30 हो गई है।
बहरहाल, रमली इन दिनों आश्चर्य का विषय बनी हुई है। जिला मुख्यालय तक उसके चर्चे हैं और इन चर्चाओं को सुनने के बाद जब हमने जिला मुख्यालय से करीब पौने दो सौ किलोमीटर दूर के इस स्कूल का दौरा किया तो हमें भी अचरज हुआ। पहाडी मैना जिसके बारे में कहा जाता है कि वह इंसानों की तरह बोल सकती है, उसी की तर्ज में रमली भी बोलने की कोशिश करती है, हालांकि उसके बोल स्पष्ट नहीं होते लेकिन ध्यान देकर सुना जाए तो यह जरूर समझ आ जाता है कि रमली क्या बोलना चाह रही है। रमली के बारे में स्कूल में पढने वाली उसकी 'सहेलियां' बताती हैं कि पिछले करीब डेढ दो माह से रमली बराबर स्कूल पहुंच रही है और अब तक उसने गिनती, अक्षर ज्ञान और पहाडा सीख लिया है। वे बताती हैं कि रमली जब 'मूड' में होती है तो वह गिनती भी बोलती है और पहाडा भी सुनाती है। उसकी सहेलियां दावा करती हैं कि रमली की बोली स्पष्ट होती है और वह वैसे ही बोलती है जैसे हम और आप बोलते हैं। हालांकि हमसे रमली ने खुलकर बात नहीं की, शायद अनजान चेहरा देखकर। फिर भी रमली है बडी कमाल आप भी तस्वीरों में रमली को देखिए।
छत्तीसगढ में पहाडी मैना बस्तर के कुछ इलाकों में ही मिलती है और अब उसकी संख्या भी कम होती जा रही है। राज्य के राजकीय पक्षी घोषित किए गए पहाडी मैना को संरक्षित करने के लिए राज्य सरकार की ओर से काफी प्रयास किए जा रहे हैं, ऐसे में राजनांदगांव जिले के वनांचल में पहाडी मैना जैसी दिखाई देने वाली और उसी की तरह बोलने की कोशिश करने वाली इस चिडिया की प्रजाति को लेकर शोध की आवश्यकता है। खैर यह हो प्रशासनिक काम हो गया लेकिन फिलहाल इस चिडिया ने वनांचल में पढने वाले बच्चों में शिक्षा को लेकर एक माहौल बनाने का काम कर दिया है।
अरे वाह कमाल की है रमली तो..... क्या कहें अलग सी पोस्ट पढ़कर अच्छा लगा.....
जवाब देंहटाएंवाह, सुन्दर..पोस्ट पढ़ कर एक सुन्दर बाल कविता ही बन गई. धन्यवाद. इतनी सुन्दर रपट पढ़ कर आनंद आया. यह आलेख कही प्रिंट में भी आना चाहिए. कही न छपा हो तो अपनी पत्रिका''सद्भावना दर्पण' के अगले किसी अंक में छाप सकता हूँ. फिलहाल आलेख पढ़ कर जो अनुभूति हुई, वह कविता की शक्ल में हाज़िर है. महीनो बाद एक प्यारी बाल कविता लिखी. ऐसा बहुत कम होता है, की कोई पोस्ट इतना अधिक प्रेरित कर दे. यही है उत्तम लेखन
जवाब देंहटाएंकितनी सुन्दर प्यारी 'रमली'
हर चिड़िया से न्यारी रमली
सबको सबक सिखाती है
सबका मन बहलाती है.
पढ़ने से ही ज्ञान मिलेगा,
दुनिया को समझाती है.
चीं-चीं कर के गीत सुनाती,
सबकी बनी दुलारी रमली.
रोज सुबह आ जाती है,
कक्षा में छा जाती है.
मिलजुल कर सब करो पढ़ाई,
बात यही बतलाती है.
रोज-रोज़ आती है पढ़ने,
कभी न हिम्मत हारी रमली.
bahut sunadar post
जवाब देंहटाएंबहुत ही मज़ेदार और रोचक पोस्ट -
जवाब देंहटाएंरोचक जानकारी.
जवाब देंहटाएं'रमली' के बारे में पढा बहुत अच्छा लगा. मैना इंसानों की ही नही कई पक्षियों की आवाजों की हुबहू नकल उतार लेती है.जरा सा घर में पाल कर देखिये ये बाते करने लग जाती है.तोता हमारे शब्दों की नकल मात्र करता है मैना बात करना सिखने के बाद आराम से बाते कर लेती है.
जवाब देंहटाएंये मैना क्लास में सीखे पाठ को जरूर बोल लेती होगी.आप यदि इससे परिचित अध्यापक या बच्ची सुखरी की मदद लेते तो शायद रमली की बाते भी रिकोर्ड कर लाते. शिक्षक जितेन्द्र मंडावी जी से बात करके भी रमली की सब बाते ,पढ़ाई की रिकोर्डिंग करके मंगवा सकते हैं.प्रयास कीजियेगा.
आश्चर्यजनक किस्सा , पढ़कर बहुत अच्छा लगा । लगता है पुनर्जन्म का किस्सा है और उसका कोई अपना उसी कक्षा में पढता है ।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर व रोचक प्रसंग बताया अतुल भाई...अविश्वसनीय सा लगता है मगर प्रमाणों से शंका की गुंजाईश ही नहीं रही...अति सुन्दर उद्धरण.......ऐसे ही रोचक खबरे लेट रहिये...अगर चैनल पर दिखा रहें हो तो समय व दिन भी बता दें..
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर व रोचक प्रसंग बताया अतुल भाई...अविश्वसनीय सा लगता है मगर विश्वास तो करना ही पड़ेगा इस आलेख के लिए आपको हजार तोपों की सलामी मिलनी चाहिए मै खड़ा होकर आपको सलाम करता हूँ
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया चित्रों से सजा आलेख!
जवाब देंहटाएंसंस्मरण सत्यता का बखान कर रहा है!
बेहतरीन पत्रकारिता की एक ओर प्रस्तुति...
जवाब देंहटाएंकीप इट अप अतुल...
जय हिंद...
वाह
जवाब देंहटाएंअच्छा लगा इस खिड़िया की बात पढ़ कर.
इस सुन्दर पोस्ट को कल ही पढ़ लिया था लेकिन जैसे ही टिप्पणी करने के लिए क्लिक किया और नेट चला गया। इसलिए आज सबसे पहले यही आयी हूँ। रमली की रिपोर्टिंग एकदम नवीन और मन को छूने वाली है। ऐसी पत्रकारिता के लिए बधाई।
जवाब देंहटाएंकमाल है ...
जवाब देंहटाएंरोचक पोस्ट !
अतुल जी
जवाब देंहटाएंआपने भी क्या हकीकत खोज कर हमारे सामने रख दी है ...रमली इंसानों को सन्देश दे रही है कि जिन्दगी को किस तरह से जिया जा सकता है ...रमली का स्कूल जाना और क्लास में पढना कितना अच्छा है ...बहुत रोचक और ह्रदयस्पर्शी ...आपका आभार
बहुत बढ़िया चित्रों से सजा आलेख!!!!!....आपका आभार
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंभाई साहब धन्यवाद्
जवाब देंहटाएंमैं आपका विवरण अपने ब्लॉग सबका पता मैं देना चाहता हूँ कृपया कर अनुमति प्रदान करें.
ब्लॉग यु आर एल सबका पता
बहुत कमाल की है यह रमली तो...बहुत आश्चर्यजनक.. सुन्दर आलेख...बधाई
जवाब देंहटाएंवाकई में रमली की स्टोरी लाजबाब है | इस पोस्ट के लिए आपको बहुत बहुत बधाई.. लिखते रहिये बहुत दिनों के बाद एक बढ़िया पोस्ट पढने को मिली है |
जवाब देंहटाएंयहाँ भी आयें, यदि हमारा प्रयास आपको पसंद आये तो फालोवर अवश्य बने .साथ ही अपने सुझावों से हमें अवगत भी कराएँ . हमारा पता है ... www.akashsingh307.blogspot.com
bahut khoobsurat post...aabhar
जवाब देंहटाएंकितनी सुन्दर प्यारी 'रमली'
जवाब देंहटाएंहर चिड़िया से न्यारी रमली
सबको सबक सिखाती है
सबका मन बहलाती है.
पढ़ने से ही ज्ञान मिलेगा,
दुनिया को समझाती है.
चीं-चीं कर के गीत सुनाती,
सबकी बनी दुलारी रमली.
रोज सुबह आ जाती है,
कक्षा में छा जाती है.
मिलजुल कर सब करो पढ़ाई,
बात यही बतलाती है.
रोज-रोज़ आती है पढ़ने,
कभी न हिम्मत हारी रमली.
waaaaaaaaahhhhhhhhhhh
बहुत क्यूट है रमली ....
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर व रोचक प्रसंग|धन्यवाद|
जवाब देंहटाएंhttp://sabkapata.blogspot.com/2011/03/blog-post_28.html
जवाब देंहटाएंसुंदर सार्थक और आनंदित करने वाला लेख मजा आ गया ।
जवाब देंहटाएंRamli...I'm in love wid this Studious Bird...
जवाब देंहटाएंbahut khoob...just superb
Regards
Era
बहुत सुंदर सार्थक और आनंदित करने वाला लेख... आपकी रमली तो एक महत्वपूर्ण सन्देश लेकर आई है...
जवाब देंहटाएंरोचक लगी यह स्टोरी.. आज ही यहां दिल्ली राष्ट्रीय सहारा में पढ़कर मज़ा आ गया।
जवाब देंहटाएंगज़ब की प्रविष्टि है ! रमली जिस बच्ची के सिर पर बैठी दिख रही ,क्या वो हमेशा उसके ही पास बैठती है ? परिंदों के दोस्त बच्चों का ज़िक्र भी कीजियेगा !
जवाब देंहटाएंशानदार पोस्ट के लिए साधुवाद !
लाजवाब अतुल जी, बहुत-बहुत बधाई. अगर वीडियो लगा दें तो फिर क्या कहने.
जवाब देंहटाएंचित्र से लग रहा है कि यह सामान्य मैना ही है, जिसे हम छत्तीसगढ़ी में 'सल्हाई' कहते हैं. अंगरेजी नाम Indian Myna- Acridotheres tristis है.
जवाब देंहटाएंयह तो एकदम ही निराला अंदाज है, चमत्कार की तरह, बधाई.
जवाब देंहटाएंbariya story..he.....badhai
जवाब देंहटाएंवाकई चमत्कारिक चिड़िया है यह!....ऐसा होना संभव है!
जवाब देंहटाएं...मेरी किताब ...उनकी नजर है हमपर...में एक झब्बर नामक डॉग का वर्णन मैंने दिया है....इसी वाकये से मिलता-जुलता है!...यह किताब बच्चों ने बहुत पसंद की है!
...आप इसे देख सकते है!...इस संबधित जानकारी मेरे ब्लॉग-पोस्ट पर है...लिंक नीचे दिया गया है!
http://jayaka-baatkabatangad.blogspot.in/2012/02/blog-post.html
तोता मैना की कहानी ,ये कहानी अब पुरानी पुरानी हो गई ...
जवाब देंहटाएंकितनी सुन्दर प्यारी 'रमली'
हर चिड़िया से न्यारी रमली
सबको सबक सिखाती है
सबका मन बहलाती है.
पढ़ने से ही ज्ञान मिलेगा,
दुनिया को समझाती है.
चीं-चीं कर के गीत सुनाती,
सबकी बनी दुलारी रमली.
रोज सुबह आ जाती है,
कक्षा में छा जाती है.
मिलजुल कर सब करो पढ़ाई,
बात यही बतलाती है.
रोज-रोज़ आती है पढ़ने,
कभी न हिम्मत हारी रमली.
बहुत अच्छी जानकारी से भरी पोस्ट !होती हैं कुछ ऐसी प्रजातियां ऐसी |अब इनका संरक्षण ज़रूर होना चाहिए वर्ना विलुप्त हो जाएँगी ...!!
जवाब देंहटाएंआभार इस रोचक पोस्ट के लिए ...!!
शानदार!आलेख।
जवाब देंहटाएंBEAUTIFUL POST.
जवाब देंहटाएंWHY SHOULD I SAY THANK YOU.
IT IS YOUR MORAL RESPONSEBILITY
TO POST SUCH A NICE BLOG TO US .