25 जनवरी 2012

बकरी की हांक से पद्मश्री के धाक तक.....

अपने गांव सुकुलदैहान में बकरी  चराती फुलवासन

‘’एक छोटा सा गांव। गांव के कोने में एक खपरैल वाला छोटा सा मकान। इस मकान में एक परिवार। परिवार में एक पति, एक पत्‍नी, दो लडकियां और दो लडकों को मिलाकर कुछ चार बच्‍चे। बिल्‍कुल आम ग्रामीण परिवार की तरह। पति खेतों में मजदूरी कर अपने परिवार का पेट पालने का काम करता था और पत्‍नी चारों बच्‍चों की देखभाल करने के अलावा खेत में पति की मदद करने, बकरी चराने और घर के सभी काम करने का जिम्‍मा उठाती थी।‘’
   यह कहानी ज्‍यादा पुरानी नहीं है। करीब 11 साल पुरानी है। अब इस कहानी में बदलाव आ गया है। अब इस कहानी की नायिका अपने गांव, अपने खेत और अपने घर तक सीमित नहीं रही। अब अपने हौसले के बल पर यह गांव से निकलकर शहर और अब देश की राजधानी दिल्‍ली तक अपनी पहचान बना चुकी है। यह पहचान उसने बनाई अपनी इच्‍छा शक्ति के दम पर। बात हो रही है छत्‍तीसगढ के आखिरी छोर पर बसे राजनांदगांव जिले के एक छोटे से गांव सुकुलदैहान की रहने वाली फुलवासन बाई यादव की। गांव की इस बकरी चराने वाली फुलवासन बाई यादव को देश के प्रतिष्ठित पुरस्‍कारों में से एक पद्मश्री पुरस्‍कार  दिए जाने की घोषणा हुई है। दिल्‍ली में आगामी दिनों में फुलवासन बाई को यह पुरस्‍कार महामहिम राष्‍ट्रपति के हाथों मिलेगा। फुलवासन की महिला सशक्तिकरण को लेकर प्रतिबद्धता का एक सबूत यह भी है कि जिस वक्‍त दिल्‍ली में पदम पुरस्‍कारों की घोषणा हो रही थी उस वक्‍त भी वह इसी विषय पर काम करने आंध्रप्रदेश के वारंगल में थी। दोपहर में जब मैंने उससे टेलीफोन पर बात की तो उसका कहना था कि यह पुरस्‍कार उसे नहीं, उन सारी महिलाओं को मिला है जिन्होने महिला सशक्तिकरण की दिशा में उनके साथ मिलकर काम किया है। 
मौजूदा समय में छत्‍तीसगढ में महिला सशक्तिकरण की रोल मॉडल फुलवासन बाई यादव का जन्‍म राजनांदगांव जिले के ग्राम छुरिया में 1971 में पिता श्री झडीराम यादव एवं माता श्रीमती सुमित्रा बाई के घर हुआ। घर की पारिवारिक स्थिति आर्थिक रूप से कमजोर थी। बड़ी मुश्किल से उन्होंने कक्षा 7वीं तक शिक्षा हासिल की। मात्र 12 वर्ष की उम्र में उनका विवाह ग्राम सुकुलदैहान के चंदूलाल यादव से हुआ। भूमिहीन चंदूलाल यादव का मुख्य पेशा चरवहा का है। गांव के लोगों के पशुओं की चरवाही और बकरी पालन उनके परिवार की जीविका का आज भी मुख्‍य  आधार है।
फुलवासन बाई यादव
छत्‍तीसगढ राज्‍य बनने से पहले छत्‍तीसगढ को पिछडा इलाका कहा जाता था और पिछडा कहा जाता था, यहां की महिलाओं को। राज्‍य बनने के बाद वर्ष 2001 में यहां की महिलाओं को जागृत और सशक्‍त करने के उद्देश्‍य से महिला सशक्तिकरण का काम शुरू किया गया। तत्कालीन कलेक्टर दिनेश श्रीवास्तव की पहल पर राजनांदगांव जिले में महिलाओं को एकजुट करने एवं उन्हें जागरूक बनाने के उद्देश्य से गांव-गांव में मां बम्लेश्वरी स्व.-सहायता समूह का गठन प्रशासन द्वारा शुरू किया गया। उस समय के तत्‍कालीन महिला बाल विकास अधिकारी राजेश सिंगी ने इस काम को पूरे जोशो खरोश के साथ किया और इसे महज अपनी सरकारी जिम्‍मेदारी न समझ दिल से अंजाम दिया और इसी का नतीजा रहा कि मौजूदा समय में राजनांदगांव महिला सशक्तिकरण की दिशा में आदर्श बन गया। इस अभियान से प्रेरित होकर श्रीमती फूलबासन यादव ने अपने गांव सुकुलदैहान में 10 गरीब महिलाओं को जोड़कर प्रज्ञा मां बम्लेश्वरी स्व-सहायता समूह का गठन किया। महिलाओं को आगे बढ़ाने एवं उनकी भलाई के लिए निरंतर  जद्दोजहद करने वाली फूलबासन यादव ने इस अभियान में सच्चे मन से बढ़-चढ़कर अपनी भागीदारी सुनिश्चित की। अभियान के दौरान उन्हें गांव-गांव में जाकर महिलाओं को जागरूक और संगठित करने का मौका मिला। अपनी नेक नियति और हिम्मत की बदौलत श्रीमती यादव ने इस कार्य में जबर्दस्त भूमिका अदा की। देखते ही देखते राजनांदगांव जिले में मात्र एक साल की अवधि में 10 हजार महिला स्व-सहायता समूह गठित हुए और इससे डेढ़ लाख महिलाएं जुड़ गई। महिलाओं ने एक दूसरे की मदद का संकल्प लेने के साथ ही थोड़ी-थोड़ी बचत शुरू की । देखते ही देखते बचत की स्व-सहायता समूह की बचत राशि करोड़ों में पहुंच गई। इस बचत राशि से आपसी में लेनदेन करने की वजह से सूदखोरों के चंगुल से छुटकारा मिला। बचत राशि से स्व-सहायता समूह ने सामाजिक सरोकार के भी कई अनुकरणीय कार्य शुरू कर दिए, जिसमें अनाथ बच्चों की शिक्षा-दीक्षा, बेसहारा बच्चियों की शादी, गरीब परिवार के बच्चों का इलाज आदि शामिल है। श्रीमती यादव ने सूदखोरों के चंगुल में फंसी कई गरीब परिवारों की भूमि को भी समूह की मदद से वापस कराने में उल्लेखनीय सफलता हासिल की।
महामहिम राष्‍ट्रपति से स्‍त्री शक्ति पुरस्‍कार लेती फुलवासन 

श्रीमती फूलबासन यादव को 2004-05 में उनके उल्लेखनीय कार्यों के लिए छत्‍तीसगढ़ शासन द्वारा मिनीमाता अलंकरण से नवाजा गया। 2004-05 में ही महिला स्व-सहायता समूह के माध्यम से बचत बैंक में खाते खोलने और बड़ी धनराशि बचत खाते में जमा कराने के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य के लिए श्रीमती फूलबासन बाई को नाबार्ड की ओर से राष्ट्रीय पुरस्कार से मिला। वर्ष 2006-07 में यूनियन बैंक ऑफ इंडिया द्वारा भी  उन्हें सम्मानित किया गया। 2008 में जमनालाल बजाज अवार्ड के साथ ही जी-अस्तित्व अवार्ड तथा 2010 में भारत सरकार द्वारा स्‍त्री शक्ति पुरस्कार प्रदान किया गया। श्रीमती यादव को सद्गुरू ज्ञानानंद एवं अमोदिनी अवार्ड से भी सम्मानित किया जा चुका है। उक्त पुरस्कार के तहत मिलने वाली राशि को उन्होंने महिलाओं एवं महिला समूहों को आगे बढ़ाने में लगा दिया है। श्रीमती यादव के परिवार का जीवन-यापन आज भी बकरीपालन व्यवसाय के जरिए हो रहा है।
                फुलवासन ने अपने 12 साल के सामाजिक जीवन में कई उल्लेखनीय कार्यों को महिला स्व-सहायता समूह के माध्यम से अंजाम दिया है। महिला स्व-सहायता समूह के माध्यम से गांव की नियमित रूप से साफ-सफाई, वृक्षारोपण, जलसंरक्षण के लिए सोख्ता गढ्ढा का निर्माण, सिलाई-कढ़ाई सेन्टर का संचालन, बाल भोज, रक्तदान,  सूदखोरों के खिलाफ जन-जागरूकता अभियान, शराबखोरी एवं शराब के अवैध विक्रय का विरोध, बाल विवाह एवं दहेज प्रथा के खिलाफ वातावरण का निर्माण, गरीब एवं अनाथ बच्चों की शिक्षा-दीक्षा के साथ ही महिलाओं को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भरबनाने में भी फुलवासन ने अहम रोल अदा किया है। राजनांदगांव जिला ही नहीं अपितु पूरे छत्‍तीसगढ़ में श्रीमती यादव महिला सशक्तिकरण के क्षेत्र में सशक्त सूत्रधार के रूप में जानी जाती है।
पदम पुरस्‍कार हासिल कर फुलवासन ने नारी शक्ति को साबित किया है।  नारी एकता को साबित किया है। और साबित किया है कि यदि हौसला हो तो सब कुछ संभव है। बधाई हो फुलवासन को। 

आप सबको गणतंत्र भारत के 62 वर्ष पूरे होने की शुभकामनाएं..........

60 टिप्‍पणियां:

  1. हौसला हो तो सब कुछ संभव है।

    इस प्रेरक व्यक्तित्व पर सुन्दर आलेख लिखने के लिए आपको बधाई!

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  2. पद्मश्री सम्मान पाने पर फुलवासन बाई यादव जी को बधाई!

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  3. प्रेरक व्यक्तित्व पर आलेख लिखने व फुलवासन बाई के बारे में जानकारी देने लिए बधाई
    गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनायें

    vikram7: कैसा,यह गणतंत्र हमारा.........

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  4. कोई भी कार्य अगर मन से किया जाये तो सफ़लता अवश्य मिलती है

    वंदे मातरम

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  5. Great Work....if each n every Village Produce Such Phulwasan then our India Will Become America or beyond it....VANDE MAATARAM....

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  6. फुलवासन ही फुलवासन हैं कर्मठ और समर्पित हिन्दुस्तान में ऊपर से प्रोत्साहन मिलता रहे तो ये मिलके काया कल्प कर दें हिन्दुस्तान की .

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  7. बहुत बढ़िया !

    गणतन्त्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ।
    आज 26 जनवरी है।
    लोग ख़ुश हैं। ख़ुश होने की वजह भी है लेकिन जो लोग आज के दिन भी ख़ुश नहीं हैं उनके पास भी ग़मगीन होने की कुछ वजहें हैं। हमारा ख़ुश होना तब तक कोई मायने नहीं रखता जब तक कि हमारे दरम्यान ग़म के ऐसे मारे हुए मौजूद हैं जिनका ग़म हमारी मदद से दूर हो सकता है और हमारी मदद न मिलने की वजह से वह उनकी ज़िंदगी में बना हुआ है।
    हमारे अंदर अनुशासन की भावना बढ़े, हम ख़ुद को अनुशासन में रखें और किसी भी परिस्थिति में शासन के लिए टकराव के हालात पैदा न करें।
    जो लोग आए दिन धरने प्रदर्शन करते हुए शासन और प्रशासन से टकराते रहते हैं, उन्हें 26 जनवरी पर यह प्रण कर लेना चाहिए कि अब वे देश के क़ानून का सम्मान करेंगे और किसी अधिकारी से नहीं टकराएंगे बल्कि उनका सहयोग करेंगे।
    टकराकर देश को बर्बाद न करें।
    लोग अंग्रेज़ो से टकराए तो वे देश से चले गए और आज बहुत से लोग यह कहते हुए मिल जाएंगे कि देश में आज जो असुरक्षा के हालात हैं, ऐसे हालात अंग्रेज़ों के दौर में न थे।
    कहीं ऐसा न हो कि फिर टकाराया जाए तो देश और गड्ढे में उतर जाए।
    सो प्लीज़ हरेक आदमी यह भी प्रण करे कि अब हम क्रांति टाइप कोई काम नहीं करेंगे।
    जो राज कर रहा है, उसे राज करने दो।
    एक जाएगा तो दूसरा आ जाएगा।
    अपना भला हमें ख़ुद ही सोचना है।

    सादर ,

    Read entire message :
    प्लीज़ क्रांति न करे कोई No Revolution
    http://www.ahsaskiparten.blogspot.com/2012/01/no-revolution.html

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  8. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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  9. वाकयी जजबा हो तो ऐसा जो एक प्रेरणा बनकर शक्ती का रूप लेले ....
    और मानव समाज के कल्याण के लिये समर्पित हो जाये ..
    ऐसे हि लोग तो हमारे देश के गर्व को और उंचा करते है
    ऐसी महिला को दिल से सलाम
    बेहतरीन पोस्ट..

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  10. गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभ कामनाएँ।
    ----------------------------
    कल 27/01/2012 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
    धन्यवाद!

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  11. नारी शक्ति को प्रणाम ...
    आपको गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं ...

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  12. आज भारत को ऐसी ही नारियों -और विभिन्न क्षेत्रों में पुरुषों की भी- महती आवश्यकता है ,
    उदाहरण प्रस्तुत करने के लिये आपका आभार !

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  13. ये हैं एक आजाद देश में रहने के काबिल नागरिक.

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  14. प्रेरणात्मक व्यक्तित्व पर बहुत ही अच्छा और सार्थक आलेख लिखा है आपने आभार ...

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  15. बढ़िया जानकारी। सार्थक पोस्ट। ऐसी खबरों को समाचार वाले बार-बार हाईलाइट करके क्यों नहीं दिखाते!

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  16. पद्मश्री सम्मान पाने पर फुलवासन बाई यादव जी को बधाई और फुलवासन बाई के बारे में जानकारी देने लिए आपको बधाई....अतुल जी
    ************************
    गणतंत्र दिवस की शुभकामनाएं....!

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  17. हार्दिक बधाइयाँ..सविस्तार से नारी सशक्तिकरण को हमसे साझा करने के लिए.बहुत ख़ुशी हुई..

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  18. राज्‍य सहित हम सब के लिए गौरव का विषय.

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  19. प्रेरणादायक पोस्ट के लिये आभार..

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  20. बहुत सुंदर. यही हैं वे जो भारत को भारत बनाते हैं.

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  21. फुलवासन बाई यादव को बधाई और उन्हे पद्म श्री का सम्मान राजनांदगांव के लिए गर्व की बात है। फुलवासन बाई ने राजनांदगांव और छत्तीसगड़ का नाम रोशन किया है।

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  22. उन्हें बहुत बहुत शुभकामनायें !

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  23. बेहद प्रेरणादायक...
    शुक्रिया सांझा करने के लिए.

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  24. प्रेरणात्‍मक प्रस्‍तुति ...आभार ।

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  25. बहुत ही सार्थ पोस्ट फूलबासन जी को मेरा सलाम , आप सब के ब्लॉग -गौ वंश रक्षा मंच पर आप और अन्य सभी मित्रगण सादर आमंत्रित है ,आप सब के सुझाव और विचारों की प्रतीक्षा रहेगी ये हम सब का मंच है अपनी उपस्तिथि जरुर दर्ज करवाए तथा अपने अमूल्य विचार और सुझाव रखें ...धन्यवाद....http://gauvanshrakshamanch.blogspot.com/

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  26. आपके इस उत्‍कृष्‍ठ लेखन के लिए आभार ।

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  27. आप का आभार जो आप ने गौ वंश रक्षा मंच पर अपनी अमूल्य टिप्पणी दी ,लेकिन सिर्फ टिप्पणी ही नहीं ,आप इस गम्भीर विषय पर अपने विचार और सुझाव के साथ अपनी कोई रचना/लेख भी इस विषय पर दें,जो सादर इस मंच पर रखी जाये , आप की रचना की प्रतीक्षा रहेगी,अपनी रचनाये कृपया यहाँ भेजे = raadheji@gmail.com

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  28. भाई अतुल जी पद्मश्री फुलवासन जी को मेरी भी बधाई |

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  29. बहुत सार्थक और प्रेरणात्मक प्रस्तुति..

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  30. यदि हौसला हो तो सब कुछ संभव है।

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  31. महिला ससक्तिकरण को प्रोत्साहन मिलना ही चाहिए. फूलबासन जी को नमन.
    सुन्दर और सार्थक आलेख - आभार.

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  32. बसंत पंचमी की शुभकामनायें

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  33. इंसान में कुछ करने का जज्बा और लगन हो तो हर चीज पाना संभव है,
    वो फूलबासन ने कर दिखाया,....सुंदर सार्थक आलेख,....
    बेहतरीन प्रस्तुति,
    welcome to new post --काव्यान्जलि--हमको भी तडपाओगे....

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  34. मेरी इस प्रविष्टी की चर्चा आज के चर्चा मंच पर की गई है।

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  35. पद्मश्री सम्मान पाने पर फुलवासन बाई यादव जी को बधाई और फुलवासन बाई के बारे में जानकारी देने लिए आभार|

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  36. समुचित समाचार है..बधाई...फुलवासन बाई पुरस्कार की सच्ची अधिकारी हैं....

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  37. bdhai preshit hae fulbasan ko .vaese bhi chhattisgarh ki mahilayen karmeth or iradon ki pakki hati haen .

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  38. Phoolwasan Yadav ko bahut bahut badhaai. inki karmathta anya mahilaaon ke liye prerna hai.

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  39. श्रीमती फूलबासन यादव samaj ki sabhi nariyon ke liye adarsh hai...aabhar is prastuti ke liye..

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  40. यदि हौसला हो तो सब कुछ संभव है।

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  41. बहुत सुन्दर सृजन , सुन्दर भावाभिव्यक्ति .

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  42. बहुत सुन्दर प्रेरणादायी और शिक्षाप्रद रचना....आभार!

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  43. खूबसूरत प्रेरणादायक पोस्ट के आपकी आभारी बहुत अच्छा लगा पढकर बहुत - २ शुक्रिया |

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  44. बहुत प्रेरणास्पद लेख, प्रोफाइल में आपकी नयी तस्वीर भी अच्छी है!

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  45. फुलवासन के विषय में बहुत ही अच्छी जानकारी....आज ऐसी ही नारियों की जरूरत है..
    सच है..मन में इच्छा हो...कुछ कर गुजारने का सहस और तमन्ना हो तो कुछ भी मुश्किल नहीं.

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  46. आभार आप सबका। मेरी पोस्‍ट में आने और इसे पसंद करने के लिए।

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  47. अतुल जी....हमे आपका ब्लॉगर देख कर बहुत ही अच्छा लगा....क्या आप शाएरी भी लिखते है....

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