बिहार पुलिस का वह पोस्टर जिसे लेकर बच्चन नाराज हुए |
दरसअल, बिहार के एक जिले में वहां की पुलिस ने नई भर्ती के लिए अमिताभ बच्चन की तस्वीर को प्रेरणा के तौर पर इस्तेमाल करने का तरीका अपना लिया गया। बिहार के कैमूर जिले के एसपी उमाशंकर सुधांशु ने नक्सल हिंसा से जूझ रहे इलाके में पुलिस विभाग में भर्ती होने के लिए युवाओं का आकर्षित करने के लिए एक पोस्टर छपवाया, जिसमें अमिताभ बच्चन की तस्वीर के साथ एक कविता प्रकाशित किया। हां, इतना जरूर है कि एसपी ने या फिर उनके विभाग ने इसके लिए अमिताभ बच्चन की इजाजत नहीं ली, बगैर उनसे पूछे उनकी तस्वीर लगा दी लेकिन उनका मकसद स्वाभाविक रूप से नेक था। न ही अमिताभ बच्चन की तस्वीर का इस्तेमाल कर निजी रूप से लाभ कमाने का उद्देश्य था और न ही ऐसा कर अमिताभ बच्चन की छवि को नुकसान पहुंचाने का ही प्रयास किया गया। सामान्य तौर पर जो समझ आ रहा है, उसके मुताबिक ऐसा कर बिहार के ये अफसर सिर्फ अमिताभ बच्चन की लोकप्रियता का उपयोग जागरूकता के लिए करना चाहते थे। अमिताभ का नाम सामने आया और इसके बाद यह अनूठा प्रयोग सुर्खियां बन गया और बात अमिताभ तक पहुंची और वे इससे इस कदर नाराज हो गए कि नोटिस देने के लिए वकील तक से सलाह लेने लगे। ऐसा नहीं होना चाहिए। अमिताभ बच्चन एक सुलझे हुए कलाकार हैं। वे रूपए लेकर कई उत्पादों की सिफारिश करते टीवी विज्ञापनों में नजर आते हैं। वे एक प्रदेश गुजरात के पर्यटन स्थलों की गाथा गाते भी दिखते हैं। वे गुजरात सरकार के ब्रांड एम्बेसेडर हैं। इसके लिए उनको आर्थिक लाभ भी मिलता है लेकिन वे एक ऐसे कलाकार हैं, जिनकी प्रशंसा पूरा देश करता है, ऐसे में उनको कुछ काम ऐसा भी करना चाहिए जो आर्थिक फायदे से परे हो।
हमारा मानना है कि बिहार पुलिस ने एक गलती भर की है और वह है, बगैर इजाजत अमिताभ बच्चन की तस्वीर का उपयोग कर लिया। इस मसले पर नाराज होकर अमिताभ उनकी खिंचाई जरूर कर सकते हैं, पर नोटिस देने की धमकी की यहां जरूरत नहीं थी। अमिताभ की नाराजगी के बाद बिहार की पुलिस ने हालांकि उनसे माफी मांग ली है और उनकी तस्वीरों वाले पोस्टरों को हटा लिया है लेकिन इस घटनाक्रम ने इतना तो साफ कर दिया है कि फिल्मों के परदे पर नायक की छवि रखने वाले कलाकारों का मन वास्तव में कितना छोटा होता है, जो एक जनहित के मुद्दे पर भी खुद के नाम के इस्तेमाल पर बौखला जाएं।
महानायक की नाराजगी दुरूस्त है । वो बिना पैसों के सांस भी नहीं लेते । आखिर बेटे के साथ साथ पोती का भी भविष्य सुरक्षित जो करना चाहते हैं । तेल साबुन बेचने और झण्डूबाम लगाने के लिए वो लोगों से स्वयं विनम्र निवेदन कर सकते हैं लेकिन किसी के प्रेरणा के लिए उनकी तस्वीर का प्रयोग मुफ्त में कोई करे ये नाकाबिले बर्दाश्त है ।
जवाब देंहटाएंबच्चन का रोम रोम बिकाऊ है , अगर दम है तो पैसे देकर शौचालय में भी उनकी तस्वीर लगाईये , मुफ्त में उनका दिमाग मत खाईये ।
बच्चन एक ब्रांड है और ब्रांड बिकाऊ होता है , मुफ्त में बाटने की चीज नहीं ।
पैसा फेको फिर तमाशा देखो ।
सही कहा आपने संजय जी।
हटाएंहद है.....
कलाकार को सिर्फ पैसा चाहिये,,,,,
जवाब देंहटाएंदीपावली की ढेर सारी शुभकामनाओं के साथ,,,,
RECENT POST:....आई दिवाली,,,100 वीं पोस्ट,
1 -
म्यूजिकल ग्रीटिंग देखने के लिए कलिक करें,
2 -
ग्रीटिंग देखने के लिए कलिक करें,
सही कहा धीरेन्द्र जी
हटाएंआपको भी दीपावली की शुभकामनाएं.....
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंChhodiye bhee mahanayak ko!
जवाब देंहटाएंDiwali mubarak ho!
एक अच्छे इंसान के रूप में अमिताभ को जाना जाता था, इसलिए उनके इस तरह के उतावलेपन पर यह लिखने का मन हुआ,
हटाएंआपने कहा तो चलिए छोड दिया......
आपको भी दीपावली की शुभकामनाएं.....
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जवाब देंहटाएं.
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कहाँ के महानायक ?
नक्सलियों के खिलाफ पुलिस भर्ती के लिये पोस्टर में खुद को देख घबरा गये श्रीमान, कही नक्सली 'जलसा' न बिगाड़ दें, रील और रियल लाईफ का फर्क आखिर यही होता है...
...
वास्तव में रील लाईफ और रियल लाईफ में यही फर्क होता है।
हटाएंमित्र ! आप भी भावुक हो एक पेशेवर दलाल/एजेंट को महिमा मंडित करने लगे / वास्विक जिंदगी को जिसने जिया वह नायक /महानायक होता है उसका महत्त्व है न की एक मसखरे का जो नक़ल का पुतला मात्र होता है /भारत में व्याप्त अशिक्षा ,अज्ञानता, विवसता,उदीप्त भावना का ये मसखरे शोषक मात्र हैं ,इनसे उद्धार की उम्मीद आपने पाल ली / उत्पाद बेचने वाले कमीसन एजेंट को प्रणेता मान लिया / दुर्भाग्य है बिहार राज्य का की वहां के पुरोधा सो रहे हैं ,ऐसे व्यतिरेकी तत्वों का सहारा ले रहे हैं /
जवाब देंहटाएंsahmat hun-
जवाब देंहटाएंदीप पर्व की
हार्दिक शुभकामनायें
देह देहरी देहरे, दो, दो दिया जलाय-रविकर
लिंक-लिक्खाड़ पर है ।।
आपको और आपके परिवार को भी दीपावली की शुभकामनाएं
हटाएंकाहे का महा नायक समाज के लिए इन्होने कौन सा काम किया है तथा कैसी संवेदन शीलता की बात आप भी करते है
जवाब देंहटाएंजब भारत सुनामी आई थी तो कई फ़िल्मी हस्तियों ने दान किये कई ने गाव गोद लिए लेकिन बच्चन साहब निर्लिप्त रहे
ये नायक नहीं महा नालायक है जिनका दिल केवल समाज वादी पार्टी के लिए धड़कता है तथा उत्तर प्रदेश को उत्तम प्रदेश व अपराध मुक्त
प्रदेश कहने के लिए धड़कता है तब इनकी अंतरात्मा सोई रहती है कसूर मीडिया का है जो किसी को क्रिकेट का भगवान व किसी को सदी का महानायक
बना कर पेश कराती है इन दोनों लोगो ने बड़े विनम्रता से इस महानता के सूचक शब्दों को ओढा है कभी भी इन दोनों लोगो ने यह नहीं कहा कि मेरा अस्तित्व
समकालीन लोगो से कमतर है या अमुक मुझसे बड़े कलाकार व खिलाडी है अल्ला मेहरबान तो गदहा पहेलवान जैसी कहावत ही चरितार्थ करते है मीडिया के बनाए हुए इन मिथक पात्रो का वास्तविक जीवन कही ज्यादा निम्न व तुच्छ विचारधारा के पोषक है
आपकी बातों से काफी हद तक सहमत।
हटाएंलंबा कद ओछा दिल !
धूल डालिए जी ...
शुभकामनाओं सहित…
राजेन्द्र स्वर्णकार
आज के बाद ये हमाई TV पर बिन हमाई इजाजत बिलकुल नई दिखें ..
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