शिक्षा मौजूदा दौर में व्यवसाय की तरह हो गया है और पब्लिक स्कूलों की बाढ़ तकरीबन हर कस्बे, शहर में पनपने लगे हैं। पहले कोचिंग क्लास के रूप में और बाद में यह स्कूलों में तब्दील होता गया और स्कूलों को हींग लगे न फिटकरी, रंग आए चोखा का सौदा मानते हुए काम किया जा रहा है, ऐसे में एक खबर आई है बंग्लादेश से, जो वास्तव में मिसाल है। यहां कुछ स्कूलें चलाई जा रही हैं जो बच्चों को शिक्षा देने के उद्देश्य से शुरू की गई हैं, किसी तरह के फायदे के लिए नहीं। ये स्कूलें निजी तौर पर चल रही हैं। यहां बच्चे आते हैं। शिक्षा अर्जित करते हैं। व्यवहारिक ज्ञान और व्यवसायिक ज्ञान भी हासिल करते हैं। सब कुछ बच्चों को जीवन में आगे बढऩे के उद्देश्य को लेकर हो रहा है। न किसी तरह के मुनाफे की फिकर और न ही किसी तरह के सरकारी मदद की चाह।
खबर इसलिए भी खास है क्योंकि ये स्कूलें पानी में तैरती हुई नाव में चलती हैं। बंग्लादेश में ऐसे तैरते हुए स्कूल परियोजना को सौर उर्जा के माध्यम से चलाया जा रहा है। बंग्लादेश की मुख्य समस्या है, जमीन का कम होना और आबादी का ज्यादा होना। यहां अधिकतर समय नदियों के पानी की वजह से बाढ़ के हालात रहते हैं और बस्तियां डूबी रहती हैं। ऐसे में सबसे बड़ी समस्या होती थी शिक्षा की। इस समस्या का समाधान निकाला गया, तैरते हुए स्कूल की परियोजना पर काम करने का और यह काम किया सिंधुलाई स्वनिर्वर संस्था ने। इस संस्था के प्रमुख मुहम्मद रिजवान कहते हैं कि नदियों के किनारे रहने वाले लोग तमाम तरह की कठिनाईयों से गुजरते हैं। सड़कों से लेकर सूचना का हर साधन उनकी पहुंच से दूर हो जाता है। बच्चे बरसात में स्कूल नहीं जा सकते। इस वहज से बच्चों ने स्कूल जाना ही छोड़ दिया था। यह सब असहनीय था और उन्होंने इस समस्या से निजात पाने के लिए कुछ करने का फैसला लिया और इस तरह शुरू हुआ उनका तैरता हुआ स्कूल। इस इलाके की जो समस्या थी, उसे ही वहां की खासियत बना दी गई और बच्चों को तैरती हुई नाव में शिक्षा देने का काम शुरू कर दिया गया। अब करीब 20 नावों में शिक्षा का घर चल रहा है और हर नाव में तकरीबन 30 बच्चों के लिए जगह है। इस तरह करीब 16 सौ बच्चे यहां अध्ययन कर रहे हैं। इन स्कूलों में टीवी, कम्प्यूटर, लैपटाप, इंटरनेट, लाईब्रेरी जैसी तमाम सुविधाएं हैं।
इस समय यह स्कूल निजी तौर पर कुछ दानदाताओं के दान से इकटठा हुई राशि से चल रही है लेकिन स्कूल के संचालक इन स्कूलों को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में काम कर रहे हैं। हम इस तरह के काम करने वाले रिजवान के हौसले की तारीफ करते हैं और उम्मीद करते हैं कि रिजवान ने जो काम शुरू किया है, वह शिक्षा की रौशनी बिखेरते हुए एक बेहतर संदेश के तौर पर अपने देश में भी और पूरी दुनिया को रौशन करेगा।
खबर इसलिए भी खास है क्योंकि ये स्कूलें पानी में तैरती हुई नाव में चलती हैं। बंग्लादेश में ऐसे तैरते हुए स्कूल परियोजना को सौर उर्जा के माध्यम से चलाया जा रहा है। बंग्लादेश की मुख्य समस्या है, जमीन का कम होना और आबादी का ज्यादा होना। यहां अधिकतर समय नदियों के पानी की वजह से बाढ़ के हालात रहते हैं और बस्तियां डूबी रहती हैं। ऐसे में सबसे बड़ी समस्या होती थी शिक्षा की। इस समस्या का समाधान निकाला गया, तैरते हुए स्कूल की परियोजना पर काम करने का और यह काम किया सिंधुलाई स्वनिर्वर संस्था ने। इस संस्था के प्रमुख मुहम्मद रिजवान कहते हैं कि नदियों के किनारे रहने वाले लोग तमाम तरह की कठिनाईयों से गुजरते हैं। सड़कों से लेकर सूचना का हर साधन उनकी पहुंच से दूर हो जाता है। बच्चे बरसात में स्कूल नहीं जा सकते। इस वहज से बच्चों ने स्कूल जाना ही छोड़ दिया था। यह सब असहनीय था और उन्होंने इस समस्या से निजात पाने के लिए कुछ करने का फैसला लिया और इस तरह शुरू हुआ उनका तैरता हुआ स्कूल। इस इलाके की जो समस्या थी, उसे ही वहां की खासियत बना दी गई और बच्चों को तैरती हुई नाव में शिक्षा देने का काम शुरू कर दिया गया। अब करीब 20 नावों में शिक्षा का घर चल रहा है और हर नाव में तकरीबन 30 बच्चों के लिए जगह है। इस तरह करीब 16 सौ बच्चे यहां अध्ययन कर रहे हैं। इन स्कूलों में टीवी, कम्प्यूटर, लैपटाप, इंटरनेट, लाईब्रेरी जैसी तमाम सुविधाएं हैं।
इस समय यह स्कूल निजी तौर पर कुछ दानदाताओं के दान से इकटठा हुई राशि से चल रही है लेकिन स्कूल के संचालक इन स्कूलों को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में काम कर रहे हैं। हम इस तरह के काम करने वाले रिजवान के हौसले की तारीफ करते हैं और उम्मीद करते हैं कि रिजवान ने जो काम शुरू किया है, वह शिक्षा की रौशनी बिखेरते हुए एक बेहतर संदेश के तौर पर अपने देश में भी और पूरी दुनिया को रौशन करेगा।
रिजवान को बहुत बहुत बधाई
जवाब देंहटाएंसार्थक प्रस्तुति
आपकी इस सुन्दर प्रविष्टि की चर्चा कल मंगलवार 20/11/12 को चर्चा मंच पर राजेश कुमारी द्वारा की जायेगी आपका स्वागत है
जवाब देंहटाएंsarahneey
जवाब देंहटाएंसराहनीय कार्य...
जवाब देंहटाएंरिजवान को शुभकामनाएँ...
:-)