24 दिसंबर 2012

बेमिसाल सचिन...

 सचिन तेंदूलकर ने वन-डे क्रिकेट से संन्यास ले लिया है। अब वे नीली जर्सी में मैदान में नजर नहीं आएंगे। हालांकि वे सफेद रंग में खेलते अपने चहेतों को मैदान में बल्ले का जलवा दिखाते दिखेंगे। सचिन के इस तरह अचानक संन्यास की घोषणा से उनके लाखों करोड़ो समर्थकों को भले ही निराशा हुई हो, लेकिन  सचिन का यह  कदम को देर आयद दुरूस्त आयद है। क्रिकेट में तमाम तरह के रिकार्ड अपने नाम कर चुके सचिन पिछले कुछ समय से खराब फार्म से जूझ रहे थे और उनकी उम्र भी यह सलाह दे रही थी कि अब उनको आराम कर युवाओं को मौका देना चाहिए। जिस खिलाड़ी को मैदान में रनों की बरसात करते देखने की आदत हो गई हो, वह खिलाड़ी यदि एक एक रन के लिए तरसने लगे तो आलोचना होना स्वाभाविक है और यही सचिन के साथ हो रहा था। ऐसे में सचिन ने एक अच्छा फैसला लिया है और करीब ढाई साल बाद होने वाले विश्वकप क्रिकेट के लिए भारत को युवाओं और जोश से भरी टीम के साथ तैयार करने की उनकी सोच सही है।
सचिन ने 463 वन डे मैच खेले हैं। यह एक रिकार्ड है। वन डे में 18426 रन बनाए हैं। यह भी रिकार्ड है। वन डे में उनके शतकों की संख्या 49 है। यह भी रिकार्ड है। सर्वाधिक वन डे अर्धशतक (96) और 23साल का वन डे कैरियर। ये सब सचिन के नाम हैं। सचिन के आसपास दूसरा कोई क्रिकेटर नहीं है। क्रिकेट के जानकार कहते हैं, आने वाले वक्त में दूसरा कोई बेहतर खिलाड़ी आएगा। महान खिलाड़ी भी आ सकता है, लेकिन सचिन जैसा कोई नहीं आ सकता। वास्तव में ऐसे खिलाड़ी बार बार नहीं होते। सचिन ने वन डे और टेस्ट, क्रिकेट के इन दोनों संस्करणों में जो कमाल अपने बल्ले और गेंद से किया है, उसका कोई सानी नहीं। किसी वक्त वन डे में दोहरे शतक की कोई सोच भी नहीं सकता था, यही एक आंकड़ा था, जिसे लेकर कहा जाता था कि कभी यदि कोई इसे छूएगा तो सचिन ही और सचिन ने इसे भी छू लिया। वन डे में पहला दोहरा शतक (नाबाद 200) बनाने वाले वे पहले बल्लेबाज बने। हालांकि बाद में वीरेन्द्र सहवाग ने इस आंकड़े को पार करते  हुए वन डे में 219 रन ठोंक डाले।
सचिन के  इस फैसले ने उनके प्रशंसकों को भले ही आहत किया है, लेकिन किसी भी खिलाड़ी की जिंदगी में यह वक्त आता ही है, जब उसे मैदान से हट जाने का फैसला करना पड़ता है। सचिन के लिए खुशी की बात है कि वह उस टीम का हिस्सा बने, जिसने विश्वकप अपने नाम किया और अब सचिन की यह जिम्मेदारी भी बनती है कि वह देश को एक ऐसी टीम देने में मदद करे, जो विश्वकप को बरकरार रखने का माद्दा रखता हो और सचिन में जिस तरह की काबिलियत है, क्षमता है, वे ऐसा कर सकते हैं। उम्मीद करते हैं कि नीली जर्सी में दोबारा सचिन मैदान में नहीं दिखेंगे पर सचिन जैसा खेल जरूर देखने मिलेगा।

10 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सही बात कही है आपने .सार्थक अभिव्यक्ति नारी महज एक शरीर नहीं

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  2. बढ़िया,
    जारी रहिये,
    बधाई !!

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  3. सचिन को वर्डकप या १०० वे शतक के बाद ही संन्यास ले लेंना चाहिए था,,,

    recent post : समाधान समस्याओं का,

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    1. धीरेन्‍द्र जी हां ऐसा ही होता तो उनका ज्‍यादा सम्‍मान होता

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  4. sahi kaha apne wo bemisal hai.... unke lie kehne ko shabd nahi mere pas... unke bina cricket dekhna aisa hai jaise bina namak ki sabji...

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    1. स्‍वधा जी इतना अतिरेक ठीक नहीं....
      सचिन बेमिसाल हैं, इसमे कोई दो मत नहीं, पर उनके पहले भी क्रिकेट था और उनके बाद भी क्रिकेट होगा
      सचिन ने जो रिकार्ड तोडे उस पर पहले भी किसी का हक था और हो सकता है, आगे भी कोई सचिन का रिकार्ड तोडे...
      सचिन यदि सच्‍चे खिलाडी हैं तो वे भी यही उम्‍मीद करेंगे कि उनका भी रिकार्ड कोई तोडे
      किसी का प्रशंसक होना अच्‍छी बात है, पर अंध प्रशंसक होना ठीक नहीं

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  5. आज भी कई गाँव ऐसे हैं जहां लोग क्रिकेट नहीं समझते , लेकिन ये बोलो तो समझ जायेगे कि 'सचिन वाला खेल' |
    ये उस खिलाड़ी की महानता है |
    हालाँकि मुझे क्रिकेट में कोई खास रूचि नहीं और सचिन के जाने के बाद तो बहुत ही कम लेकिन उनका समर्पण हमेशा मेरे लिए एक आदर्श रहा है |

    सादर

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