एक साल और बीत गया। घरों की दीवार पर लगे कैलेंडर बदल दिए जाएंगे। उनकी जगह नए कैलेंडर ले लेंगे। 31 दिसम्बर से लेकर 1 जनवरी तक का सफर इतना आसान नहीं है। इस एक दिन के सफर में पूरा साल बदल जाता है। जब सफर लंबा है तो हमें सोचना भी ज्यादा चाहिए। फ्लैशबेक में जाकर सोचना चाहिए कि घर से उतार दिए गए कैलेंडर की तारीखों में हमने क्या कुछ देखा। क्या कुछ पाया। क्या कुछ खोया। उन बीते लम्हों पर सरसरी निगाह डालने पर हमें अहसास होगा कि जो बीता है, वह काफी कुछ सबक देकर गया है। साल के बदलने को सिर्फ कैलेंडरों का बदलना न मानकर इस नजरिए से लेना चाहिए कि हमें उन कामों के लिए एक साल और मिला है, जो अधूरा रह गया... जिसे बीते साल में हम करने से चूक गए... और फिर पूरी ताकत से उन कामों को करने में जुट जाना चाहिए।
कहते हैं, बीती ताहि बिसार दे, आगे की सुधि लेय... लेकिन कभी कभी बीती बातों पर मनन भी कर लेना चाहिए, क्योंकि कहा यह भी गया है कि समय से बड़ा गुरू कोई नहीं होता। और जब हम अपने बीते लम्हों पर नजर दौड़ाते हैं, तो हमें आने वाले कल के लिए काफी कुछ सीखने मिलेगा। हम उम्मीद करते हैं कि 2012 में हमने जो गल्तियां की हैं, उससे सबक लेंगे और 2013 में उन गल्तियों को न दोहराया जाए, ऐसा काम करेंगे। 2012 ने जो खुशियां दी हैं, उन खुशियों पर ज्यादा न इतराते हुए 2013 में भी ऐसे काम जारी रखेंगे जो खुशियों को बरकरार रखे।
मौजूदा दौर में एक ट्रेंड चल निकला है। किसी भी विषय पर, किसी भी मुद्दे पर अतिरेक का। हम किसी भी अच्छी घटना से ज्यादा खुश हो जाते हैं और किसी भी बुरी घटना से ज्यादा आहत। जबकि हर घटना कुछ न कुछ सबक देती है। उन घटनाओं से सबक लेकर आने वाले कल को बेहतर बनाने की कोशिश होनी चाहिए लेकिन ऐसा न होकर क्षणिक भावावेश में काम किया जाता है।
बीते साल में देश ने कई आंदोलन देखे। सरकार के खिलाफ गुस्सा खूब दिखा। बाबा रामदेव से लेकर अन्ना हजारे और फिर केजरीवाल तक आंदोलनों की बहार रही। सारे आंदोलनों में जनता ने खूब बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। सोशल मीडिया ने भी इन आंदोलनों को बड़ा समर्थन दिया। साल का आखिरी महीना भी आंदोलन में ही बीता। एक ऐसे मुद्दे पर आंदोलन में जो हम सबसे जुड़ा हुआ है। हम सबके परिवार से जुड़ा हुआ है। यह दौर सोशल मीडिया का है। हम देख रहे हैं कि हाल की कुछ घटनाओं को लेकर सोशल मीडिया में काफी गुस्सा निकल रहा है। लोग यह भी कह रहे हैं कि हम नए साल का जश्र नहीं मनाएंगे। वे दुखी हैं। पर हमारा मानना है कि हर घटना का एक दूसरा पहलू भी होता है। हाल में दिल्ली में जो हुआ, वह बुरा हुआ, पर उस घटना का एक अच्छा पहलू भी है। वह है, इस घटना ने देश को जगा दिया। नारी सम्मान को लेकर, महिलाओं के खिलाफ हो रहे अत्याचार, शारीरिक शोषण के खिलाफ एक देशव्यापी माहौल बनाने का काम इस घटना ने किया है। इस माहौल को आगे ले जाने की जरूरत है, अपने भीतर जिंदा रखने की जरूरत है, न कि इस घटना को लेकर शोक में डूब जाने का वक्त है।
नया साल नई उम्मीदें लेकर आए। नए अवसर लेकर आए। नए साल में ऐसा कुछ हो कि हम बेहतर करते रहें। इस उम्मीद के साथ हम आपको नए साल की बधाई देते हैं।
आप सबको नए साल की शुभकामनाएं...
नव वर्ष-2013 की ढेर सारी मंगलकारी शुभकामनायें।
जवाब देंहटाएंआपकी प्रस्तुति अच्छी लगी। मेरे नए पोस्ट पर आपकी प्रतिक्रिया की आतुरता से प्रतीक्षा रहेगी। नव वर्ष 2013 की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ। धन्यवाद सहित
जवाब देंहटाएंदिन तीन सौ पैसठ साल के,
जवाब देंहटाएंयों ऐसे निकल गए,
मुट्ठी में बंद कुछ रेत-कण,
ज्यों कहीं फिसल गए।
कुछ आनंद, उमंग,उल्लास तो
कुछ आकुल,विकल गए।
दिन तीन सौ पैसठ साल के,
यों ऐसे निकल गए।।
शुभकामनाये और मंगलमय नववर्ष की दुआ !
इस उम्मीद और आशा के साथ कि
ऐसा होवे नए साल में,
मिले न काला कहीं दाल में,
जंगलराज ख़त्म हो जाए,
गद्हे न घूमें शेर खाल में।
दीप प्रज्वलित हो बुद्धि-ज्ञान का,
प्राबल्य विनाश हो अभिमान का,
बैठा न हो उलूक डाल-ड़ाल में,
ऐसा होवे नए साल में।
Wishing you all a very Happy & Prosperous New Year.
May the year ahead be filled Good Health, Happiness and Peace !!!
उम्मीद का यह भाव यूँ ही सदा शिखर पर रहे ...
जवाब देंहटाएंशुभ दिन के साथ शुभकामनाएं
बहुत उम्दा,सुन्दर व् सार्थक प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंनब बर्ष (2013) की हार्दिक शुभकामना.
मंगलमय हो आपको नब बर्ष का त्यौहार
जीवन में आती रहे पल पल नयी बहार
ईश्वर से हम कर रहे हर पल यही पुकार
इश्वर की कृपा रहे भरा रहे घर द्वार.
सुन्दर व् सार्थक प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत सुभकामनाएँ के साथ स्वागत है नई पोस्ट :"काश ! हम सभ्य न होते" http://kpk-vichar.blogspot.in
अपने भूत को हमेशा ध्यान में रखकर , अपने भविष्य की ओर निगाह करके अपने वर्तमान को जीना चाहिए |
जवाब देंहटाएंनया वर्ष सबके लिए मंगलमय हो , ऐसी कामना है |
सादर