25 अक्तूबर 2010

अजीत जोगी तो देवता हैं!

‘’ अजीत जोगी तो देवता के समान हैं।‘’  चौंकिए नहीं, यह मेरा विश्‍लेषण नहीं, यह कहना है वीरेन्‍द्र पांडे का। वी‍रेन्‍द्र पांडे यानि कि पूर्व भाजपा नेता। पूर्व विधायक। राज्‍य वित्‍त आयोग के पूर्व अध्‍यक्ष। अब फिर से चौंकिए नहीं। वीरेन्‍द्र पांडे का हृदय परिवर्तन नहीं हुआ है और न ही वे अब अजीत जोगी के मुरीद हो गए हैं। वे तो तुलना करते हुए ऐसा कहते हैं। वे अपनी बात को साफ करते हुए कहते हैं कि छत्‍तीसगढ में कुछ साल पहले हम अजीत जोगी को दुष्‍ट कहते थे लेकिन अब जब मौजूदा मुख्‍यमंत्री डा रमन सिंह को देखा है समझा है तो लगने लगा है कि रमन के मुकाबले अजीत तो देवता थे। वे और साफ करते हैं कि रमन महादुष्‍ट हैं और उनके मुकाबले में जोगी कहीं नहीं ठहरते इसलिए जोगी देवता के समान हैं।

फिलहाल छत्‍तीसगढ में छत्‍तीसगढ संयुक्‍त किसान मोर्चा के मंच पर किसानों की मांगों को उठाकर लगातार आंदोलन करने वाले मोर्चा के संयोजक वीरेन्‍द्र पांडे का  कहना है कि उन्‍होंने जोगी राज को  करीब से देखा था और अब रमन राज को भी देख रहे हैं। दोनों की तुलना करने के बाद वे डंके की चोट पर कह सकते हैं कि रमन के मुकाबले जोगी कहीं बेहतर थे। हालांकि वे यह भी कहते हैं कि जोगी की दुष्‍टता में भी कहीं कमी नहीं थी लेकिन रमन की तुलना में तो वे देवता के समान थे। पांडे बात‍ को आगे बढाते हुए कहते हैं कि रमन राज में काफी विकास हुआ है। विकास को लेकर वे बताते हैं कि छत्‍तीसगढ के दस सालों में भ्रष्‍टाचार का विकास हुआ है। राज्‍य का एक आईपीएस बाबूलाल अग्रवाल अपने 22 साल के सेवाकाल में 6 सौ करोड रूपए का आसामी हो जाता है। हर दिन अफसरों के घर छापे पड रहे हैं  और करोडों की सम्‍पत्ति बरामद  हो रही है। अव्‍व्‍ल होने का नशा राज्‍य पर छाया हुआ है। राज्‍य  में पहले बस्‍तर में ही नक्‍सलवाद था, कुछ कुछ राजनांदगांव जिले में था लेकिन अब पूरे 18 जिले में नक्‍सली पांव पसार चुके हैं। काफी विकास हुआ है नक्‍सलवाद के क्षेत्र में। नक्‍सली जंगल के इलाकों से बाहर निकलकर नागरिक क्षेत्रों में पहुंच गए हैं। नक्‍सली गांवों में लगातार हत्‍याएं कर रहे हैं और हर घटना के बाद प्रदेश के मुखिया के आवास की सुरक्षा का घेरा बढा दिया जाता है। वे चुटकी लेते हुए कहते हैं कि मुख्‍यमंत्री हर घटना के बाद बयान देते हैं कि हम डरने वाले नहीं। अरे जनाब आपके बंगले में तो पहले दीवार छह फीट ऊंची थी फिर आठ फीट हुई और अब उस पर तार लगा दिए गए, तारों में करंट बिछा दिया गया, आपको काहे का डर, डर तो गांव में जंगल में रहने वाले गरीब को है। आपसे भी और नक्‍सलियों से भी। शराब के खपत के मामले में छत्‍तीसगढ देश में अव्‍वल है। स्‍कूल, कालेज, मंदिर और अस्‍पताल के पास शराब आसानी से  मिल रहा है। शराब की आसान उपलब्‍धता राज्‍य के नासूर की तरह है।
वीरेन्‍द्र पांडे दो  रूपए किलो और एक रूपए किलो चावल योजना को लेकर भी सवाल खडा करते हैं। वे कहते हैं कि राज्‍य की अर्थव्‍यवस्‍था को कुचलने की साजिश है यह योजना। वे कहते हैं कि इस योजना ने छत्‍तीसगढ के मेहनतकश मजदूरों को खेत से बाहर कर दिया है और इस वजह से  उत्‍पादन और कृषि का रबका काफी घट गया है।  वे कहते हैं कि वे गरीबों  को सस्‍ता चावल देने के विरोधी नहीं हैं लेकिन इसके लिए कोई मापदंड होने चाहिए। ऐसी कोई शर्त रखनी चाहिए कि जो काम करेगा उसे काम के बदले मजदूरी और फिर एक रूपए, दो रूपए में चावल दिया जाएगा। हां इस शर्त से बुजुर्गों, अशक्‍तों और विधवाओं को दूर रखा जा सकता है। वे कहते हैं कि प्रदेश के मुखिया लगभग हर रोज यह कहते हैं कि किसानों की  समृद्धि से प्रदेश मजबूत होगा लेकिन हकीकत यह है कि किसानों को खत्‍म करने की साजिश रची जा रही है। उनके मुताबिक रायगढ जिले के कनकगिरी क्षेत्र में अभ्‍यारण्‍य बनाने के नाम पर 25 गांवों को उजाडने की तैयारी की जा रही है। बस्‍तर में 2 हजार एकड से ज्‍यादा जमीन टाटा को देने की  तैयारी है। अंजोरा में भी किसानों की जमीन हडपने की साजिश की जा रही है।
किसान रथ यात्रा के माध्‍यम से जन जागृति फैलाने प्रदेश भर की यात्रा पर ‘’जागो किसान’’, ‘’ संघर्ष करो’’ और ‘’खेती बचाओ’’ के नारे के साथ निकले वीरेन्‍द्र पांडे कहते हैं कि उनकी अपनी कोई विशेष मांगे नहीं हैं। वे तो चाहते हैं कि प्रदेश  के मुखिया उन बातों पर अमल कर लें जो उन्‍होंने चुनाव के दौरान अपने घोषणा  पत्र में किया था। उनके मुताबिक 2008 के चुनाव में भाजपा के घोषणा पत्र में किसानों को धान पर राज्‍य सरकार की ओर से 270 रूपए का बोनस दिए जाने, एक, दो, तीन, चार और पांच हार्स पावर के कृषि पंपों को मुफत बिजली दिए जाने और किसानों को बिना ब्‍याज का कृषि ऋण दिए जाने का वादा किया गया था, वे चाहते हैं कि सरकार इन मांगों को पूरा कर दे, बस। उनके मुताबिक एक बार वे और कुछ कृषि प्रतिनिधि मुख्‍यमंत्री के बुलावे पर उनसे मिलने गए थे और इन वादों को पूरा करने कहा तो मुख्‍यमंत्री ने हाथ जोडकर यह कह  दिया कि उनके पास किसानों को देने के लिए एक रूपए भी नहीं। पांडे कहते हैं कि 1 करोड 62 लाख परिवार‍ कृषि पर निर्भर हैं पर सरकार के पास किसानों को देने के लिए एक रूपए नहीं और दूसरी ओर छटवें वेतनमान के रूप में करोडों रूपए खर्च किए जा रहे हैं। वे पूछते हैं कि यह भेदभाव क्‍यों।
छत्‍तीसगढ में जीडीपी बढने के सवाल पर वीरेन्‍द्र पांडे का कहना है कि हां यह बढा जरूर है पर यह उदयोगपतियों और सरकारी अफसरों, नेताओं तक सीमित है। आम आदमी के आय में वृदिध नहीं हुई है। वे कहते हैं कि प्रदेश में मौजूदा राजनीति पांच लोगों की  है। नेता, बाबू, लाला, दादा और झोला। वे विस्‍तार से बताते हैं कि नेताओं की चल रही है। बाबू यानि अफसरों का राज चल रहा है। लाला यानि व्‍यापारी कमा रहे हैं। दादा यानि गुंडो का राज है। झोला यानि एनजीओ। वे कहते हैं कि प्रदेश में ऐसा एक भी नेता नहीं होगा जिसका एनजीओ नहीं चल रहा होगा। नेता एनजीओ के नाम से कमा रहे हैं।
किसी समय जनसंघ और फिर भाजपा में दबंग नेता के रूप में पहचाने जाने वाले नेता वीरेन्‍द्र पांडे ने राजनांदगांव में अपने किसान यात्रा के पडाव के दौरान बातचीत में अपने भडास को निकाला। अपनी महत्‍वाकांक्षा को लेकर भी उन्‍होंने खुलकर बात की। वे कहते हैं कि उनकी भी  इच्‍छा है कि फिर विधायक बनूं, सांसद भी बनूं और प्रदेश का मुख्‍यमंत्री भी बनूं, लेकिन यह सब मूल्‍यों से समझौता कर नहीं चाहिए। जब भाजपा से हटने का सवाल किया गया तो बताया कि पार्टी ने उनकी टिकट काट दी थी और इसके बाद एक बार उनसे पार्टी के बडे नेता धर्मेन्‍द्र प्रधान से हुई। उन्‍होंने जब उनसे पूछा कि मेरी टिकट किस कमी के कारण काटी गई तो धर्मेन्‍द्र प्रधान ने कहा कि पांडे जी आप कारण मत पूछिए बस इतना जान लीजिए कि सब आपसे डरते हैं। श्री पांडे ने कहा कि एक बार मुख्‍यमंत्री डा रमन सिंह ने भी उन्‍हें प्रस्‍ताव दिया कि आप चुनाव की छोडिये आप एक हेलीकाफटर लेकर पूरे प्रदेश में घूमकर चुनाव प्रचार कीजिए और चुनाव के बाद आपको मुख्‍यमंत्री के बाद का पद यानि योजना आयोग का उपाध्‍यक्ष बना दिया जाएगा तो  मैंने यह कहकर मना कर दिया कि यही सब करना होता तो जनसंघ में  नहीं आता। पांडे एक और खुलासा करते हैं  कि जब वे प्रदेश में भाजपा के बडे नेता थे तब उन्‍होंने ही डा रमन सिंह को कवर्धा मंडल में भाजपा का अध्‍यक्ष बनाया था। वे यह भी कहते हैं कि उन्‍होंने ही डा  रमन  को कवर्धा के एक वार्ड से  पार्षद की टिकट दी थी और अब इसी रमन ने अजीत जोगी को लेकर उनकी सोच में इतना बदलाव ला दिया है कि उन्‍हें ‘दुष्‍ट’ नहीं ‘देवता’ कहना पड रहा है।

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