05 नवंबर 2010

शुभ दीपावली

सभी ब्‍लागरों और पाठकों को दीपावली की शुभकामनाएं। दीप पर्व सबके जीवन में खुशियों का प्रकाश भर दे।

दीपावली की दो कविताएं
1
मेरे आंगन के
टिमटिमाते दिए
मुझे अहसास दिलाते हैं
कि
जिंदगी
सिर्फ गमों का दरिया नहीं
खुशियों के ज्‍वार भांटे भी
होते हैं
जिंदगी में
यह अलग बात है
कि
मेरी जिंदगी में
दिए का वह हिस्‍सा आता है
जिसकी तकदीर में
रौशनी नहीं
लेकिन
मेरे आंगन के दिए
वे तो मासूम हैं
उन्‍हें खुशी और गम से
कोई सरोकार नहीं
वे तो बस जलना जानते हैं
औरों से नहीं
औरों के लिए
मेरी ही तरह
2
तुम्‍हारे आंगन में
खुशियां ही खुशियां हों
दामन में समेटो तुम
हजारों आशाएं
तुम्‍हारी ख्‍वाहिशें
न रहे अधूरी
गम न करना उसका
जो खो गया
जिंदगी और भी है
छोडो दुख का राग
छेडो खुशियों के साज
आशाओं के दीप
दीप्‍तमान रहे सर्वदा
जिंदगी में
बहारें फिर आएंगी
सुख दुख
धूप छांव
यहीं तो छिपा है
भावी जिंदगी का राज

1 टिप्पणी:

  1. ...छोडो दुख का राग
    छेडो खुशियों के साज...
    क्या बात है अतुल भाई.... दीप पर्व पर अशेष शुभकामनायें.

    जवाब देंहटाएं