01 जनवरी 2011

नए साल पर दो कविताएं

सभी पाठकों और ब्‍लागरों को नया  साल मुबारक हो
कंचनजंघा की चोटियों पर एक सुबह

     1

मेरे जीवन का 
एक वर्ष और
बीत गया....,
धूमिल छवि 
दार्जलिंग की पहाडियों से कंचनजंघा की चोटियों पर सुर्योदय का नजारा
जिसकी
है मेरे पास
थोडी खुशियां, थोडे गम
कहीं जीत, कहीं हार
यही तो है
जिनके साए  में
कट जाती है
जिंदगी
एक स्‍वच्‍छंद आकाश
और है मेरे पास
जिसमें लिखना है
मुझे अपना कल
अपना  आने  वाला कल
उस कल को
खुशगवार बनाएगी
तुम्‍हारी,
सिर्फ तुम्‍हारी 
दुआएं 

    2

नए वर्ष की
पहली सुबह
तुम्‍हारी जिंदगी में
खुशी का  पैगाम
ले  के आए
जो हुआ, सो हुआ
अब यही तमन्‍ना
आंसू तेरी आंखों में
न छलक पाए।
संग चलें हम तुम
इस नीले गगन के तले
आओ यही कसम लें,
हम जीवन पथ पर चलें।
हो एक दूसरे के
दिलों पर राज
चलो कर  लें हम तुम
यह प्रण आज
तुम्‍हे मेरी
गर जरूरत पडे
मुडकर  पीछे आवाज देना
मैं सदा तुम्‍हारे साथ हूं।

1 टिप्पणी:

  1. नये साल की शुरुवात कविता के साथ...वाह अतुल जी आपने तो यक़ीनन ज़हन में ताज़गी भर दी ! कंचनजंघा की चोटियों और दार्जलिंग के सुहाने सुर्योदय के फोटोग्राफ्स ने इस बात का अहसास और करा दिया की "सारे जहाँ से अच्छा हिन्दुस्तान हमारा" सच सोने सी दमकती इस सरज़मीं पर ऐसे कई बेहतरीन नज़ारे हैं जिन्हें देखना अपने आप में एक बेहद सुखद अनुभव है...नया साल आपके जीवन को ताज़गी से सराबोर कर दे इसी शुभकामना के साथ आपको नया साल मुबारक हो.....

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