08 मई 2011

मां


मां। दुनिया का सबसे प्‍यारा शब्‍द। दुनिया में कई रिश्‍ते होते हैं लेकिन शायद ही ऐसा कोई रिश्‍ता होगा जो सिर्फ एक अक्षर में सिमटा हो, लेकिन उस रिश्‍ते की ताकत दुनिया के  हर रिश्‍ते से बडी होती है। भगवान का नम्‍बर भी शायद इस रिश्‍ते के बाद आता है। ये रिश्‍ता है मां का। 
मां। तुम बहुत याद आ रही हो। वैसे तो एक पल भी ऐसा नहीं बीता होगा जब तुम जेहन में न रहती हो... पर इंसानों के बनाए इस मदर्स डे में तुम्‍हारी याद और भी आ रही है और तुम्‍हे व्‍यक्‍त करने के लिए मेरे पास शब्‍द नहीं हैं..... 
मां। एक गजल जो मैं  अक्‍सर सुनता हूं... उसे यहां रख  दे रहा हूं.... क्‍यों‍कि मुझे कोई शब्‍द नहीं सूझ रहे हैं तुम्‍हे व्‍यक्‍त करने को....। 

पंकज उधास की गाई गजल पेश है.... 
 
बेसन की सौंधी रोटी पर खटटी चटनी जैसी मां
याद आती है चौका बर्तन चिमटा फुंकनी जैसी मां
 
बान की खुलरी खाट के ऊपर
हट आहट पर कान धरे
आधी सोई आधी जागी थकी दुपहरी जैसी मां
 

बेसन की सौंधी रोटी पर खटटी चटनी जैसी मां
याद आती है चौका बर्तन चिमटा फुंकनी जैसी मां

चिडियों की चहकार में गूंजे
कभी मुहम्‍मद कभी अली
मुर्गे की आवाज से खुलती घर की कुंडी जैसी मां

बेसन की सौंधी रोटी पर खटटी चटनी जैसी मां
याद आती है चौका बर्तन चिमटा फुंकनी जैसी मां

बीवी बेटी बहन पडौसन
थोडी थोडी सी सबमें
दिन भर एक रस्‍सी के ऊपर चलती नटनी जैसी मां

बेसन की सौंधी रोटी पर खटटी चटनी जैसी मां
याद आती है चौका बर्तन चिमटा फुंकनी जैसी मां

बांट के अपना चेहरा माथा आखें
जाने कहां गई
फटे पुराने एक एलबम में चंचल लडकी जैसी मां

बेसन की सौंधी रोटी पर खटटी चटनी जैसी मां
याद आती है चौका बर्तन चिमटा फुंकनी जैसी मां

21 टिप्‍पणियां:

  1. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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  2. सच कहा आपने.... भगवान का नम्‍बर भी शायद इस रिश्‍ते के बाद आता है। यह बेहतरीन ग़ज़ल पढवाने का आभार ....

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  3. आभार आपने एक अच्छी गजल को सांझा किया।

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  4. मां तो है मां, मां तो है मां,
    मां जैसा दुनिया में है और कोई कहां...

    जय हिंद...

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  5. माँ तो सब देती है लेकिन क्‍या बच्‍चे भी माँ को कुछ दे पाते हैं? उसका आँचल तो बचपन में गीला रहता है और बुढ़ापे में रीता हो जाता है। लेकिन चलो एक दिन ही सही कोई माँ को याद तो कर ही लेता है।

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  6. बहुत सही बात कही आपने.यह गज़ल मैंने सुनी नहीं है पर आज सर्च करके ज़रूर सुनुँगा.


    सादर

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  7. माँ का बखान करना तो किसी के बस की बात नहीं है , माँ वो है जिसके बिना हम जिंदगी की कल्पना भी नहीं कर सकते, इस दुनिया की सभी माओं को हैप्पी मदर्स डे. आपने हमें बनाया है, हमें जीना सिखाया है....

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  8. wah,ma to ma hai.humne nahi dekha usko kabhi par uski zarurat kya hogi,aye ma,aye ma teri surat se alag bhagvan ki surat kya hogi,kya hogi.

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  9. आभार आप सबका।
    पंकज उधास की इस गजल को इस लिंक पर जाकर सुना जा सकता है
    http://www.raaga.com/channels/hindi/movie/G0000168.html

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  10. माँ !
    पास हो, ना हो,
    बस हो, चाहे जहाँ भी हो,
    एक ऐसा सहारा सी |

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  11. बहुत खूब.

    मेरे ब्लॉग दुनाली पर देखें-
    मैं तुझसे हूँ, माँ

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  12. बहुत सुंदर अभिव्यक्ति |बधाई |
    कभी मेरे ब्लॉग पर भी आएं |
    आशा

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  13. Pankaj ji ki is umda gazhal ko post karne ke liye badhaai.pahli bar aapke blog ka avlokan kiya.bahut achcha laga.achchi gazhal mere pasandeeda singer ki padhne ko mili.

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  14. मातृ दिवस की हार्दिक शुभकामनाऐं.

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  15. ma se bada koi nahi....chota sa shabd Ma..apneaap me samete hai ..anant gahrai..aur aseemit pyar...

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  16. कम शब्दों में बहुत कुछ कह दिया
    सुन्दर प्रस्तुति

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  17. लाजवाब भाई साहब.....

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  18. दोस्‍त बनाना इतना आसान है जितना मिटटी में मिटटी लिखना लेकिन निभाना उतना ही कठिन है जितना पानी में पानी लिखना

    achhi kahi..

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