फोटो साभार: हरिभूमि |
अमानवीय.......! शर्मनाक..... ! दुर्भाग्यजनक......! मानवता को कलंकित करने का काम किया है एक स्कूल ने। छोटे छोटे बच्चों का भविष्य गढने का काम करने वाले एक स्कूल ने इस तरह की अमानवीय हरकत की है कि किसी का भी खून खौल उठे। क्या आप कल्पना कर सकते हैं कि हादसे में मृत बच्चे के प्रति संवेदना के दो शब्द के बजाय स्कूल उस बच्चे की बकाया फीस भी वसूल ले और वह भी उस बच्चे के नाम के आगे स्वर्गीय लिखकर...... ! ! ! ! ! यह काम किया है छत्तीसगढ के नए बने जिले बलरामपुर के रामानुजगंज के एक स्कूल ने।
करीब पखवाडे भर पहले 21 दिसम्बर को रामानुजगंज में एक सडक हादसा हुआ था जिसमें एक तेज रफ्तार ट्रक ने सडक किनारे खडे स्कूली वाहन को टक्कर मार दी थी। इस हादसे में स्कूली बस के चालक और चार मासूम बच्चों की दर्दनाक मौत हो गई थी। हादसे में छह साल के लकी ठाकुर, आठ साल के सूर्यउदय सिंह, आठ साल के ही आलोक प्रजापति और इसी उम्र के आयुष गुप्ता की मौत हुई थी। ये सभी बच्चे न्यू एरा पब्लिक स्कूल के छात्र थे। इस हादसे ने अकेले रामानुजगंज ही नहीं पूरे सरगुजा और छत्तीसगढ को हिलाकर रख दिया था और हादसे के बाद जनाक्रोश भडक गया था। चक्काजाम और फिर लाठीचार्ज जैसी घटनाएं भी हुई थीं पर लगता है हादसे का कोई असर बच्चों का भविष्य गढने (?) का काम करने वाले स्कूल प्रबंधन पर नहीं हुआ......... स्कूल प्रबंधन के ताजा कदम ने तो कम से कम ऐसा ही साबित करने का काम किया है।
इस हादसे में मृत एक बच्चे आयुष गुप्ता का स्कूल का फीस बकाया रहा होगा जिसे स्कूल प्रबंधन ने बच्चे की मौत के बाद भी नहीं भूला और उसने इस फीस को बच्चे के पिता से वसूल लिया। स्कूल ने 3 जनवरी 2012 को ट्यूशन और बस फीस के रूप में बच्चे के पिता से राशि लेकर रसीद दी। अमानवीयता की हद ही थी कि स्कूल ने फीस वसूलने वाले फार्म में बच्चे के नाम के आगे स्वर्गीय लिखकर फीस वसूला। अपने मासूम बच्चे को अचानक एक हादसे में खो देने वाले पिता के लिए उनके बच्चे का जाना वैसे भी दुखदायी था पर स्कूल प्रबंधन की ओर से घटना के बाद शोकाकुल परिवार को ढांढस बधाने का काम न कर उसकी बकाया फीस वसूलने की कवायद ने मानवता को ही कलंकित कर दिया है।
अमूमन किसी भी हादसे के बाद अस्पताल में शव के पोस्टमार्टम के नाम पर डाक्टरों और वहां काम करने वाले स्टाफ द्वारा मृतकों के परिजनों से राशि लेने का मामला अक्सर सामने आता है और ये मामले अमानवीयता की हद पार करने वाले लगते हैं पर एक स्कूल प्रबंधन की यह हरकत..... इसे क्या कहेंगे.... इस हरकत ने तो सारी सीमाएं लांघ दी है। इस मामले के सामने आने के बाद अब बलरामपुर के कलेक्टर ने भी इसे दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया है और मामले की जांच और फिर कार्रवाई की बात की है पर इस घटना ने स्कूल प्रबंधन के माथे पर जो कलंक का टीका लगाया है वह क्या कभी धुल पाएगा और अपने बच्चे को खोने वाले परिजन की टीस क्या कम हो पाएगी…..?
वाकई शर्मनाक है
जवाब देंहटाएंस्कूल के सामने लोगों को गांधीगिरी करके इसके प्रिंसिपल और डायरेक्टर को सबक सिखाना चाहिए।
Afsosnaak .
जवाब देंहटाएंबहुत शर्मनाक और अफसोसजनक!
जवाब देंहटाएंआजकल विद्यालय नहीं रहे शिक्षा की दूकाने चल रहीं हैं।
किसी " कफ़न चोर " से कम नहीं है ये हरकत ....बेहद निंदनीय है.
जवाब देंहटाएंशर्मनाक.
जवाब देंहटाएंबकाया फीस, सड़क दुर्घटना और परिवार का शोक एक-दूसरे से जुड़ रहे हैं, लेकिन ... भावनाओं के सम्मान और सहानुभूति के नाते आगे और कुछ कहना उचित नहीं लग रहा.
जवाब देंहटाएंक्या टिप्पणी दे ... बुध्दि शून्य मन बैचेन है पोस्ट पढ़कर ... दिमाग काम ही नहीं कर रहा है ... बेहयाई की पराकाष्ठा है ये ,,,
जवाब देंहटाएं@ महेन्द्र जी शर्मनाक ही है। पर क्या इस तरह की हरकत करने वालों के साथ गांधीगिरी का रवैया अख्तियार करना चाहिए या फिर....????
जवाब देंहटाएं@ अनवर जी अफसोस ही है।
@ रूपचंद्र शास्त्री जी दूकानों में भी कुछ मानवता होती है पर.......
@ राजेश जी, कफनचोर ही हैं ऐसे लोग।
@ अमित जी सही कहा।
@ राहुल जी शुक्रिया।
@ संजय जी सच कहा, बेहयाई की पराकाष्ठा ही है।
ऐसे स्कूल संचालकों के खिलाफ सख्त से सख्त कदम उठाना चाहिए।
जवाब देंहटाएंबहुत गुस्सा आ रहा है इस बेहयाई को पढ़ कर।
सादर
अब क्या कहें ?
जवाब देंहटाएंपढकर धारणा बदल गयी....
जवाब देंहटाएंआज तक यही लगता था स्कूल "इंसान" चलाते हैं....
कलंक है ये कृत्य, मानवता पर. निंदनीय हरकत.
जवाब देंहटाएंबकाया फीस वसूलने की कवायद ने मानवता को ही कलंकित कर दिया है।
जवाब देंहटाएं@ यशवंत जी। सख्त कदम जरूरी है ऐसे लोगों के खिलाफ।
जवाब देंहटाएं@ चंदन जी यह व्यथा समझ सकता हूं।
@ हबीब जी.... लग ऐसा ही रहा है।
@ केवल जी निंदनीय ही है।
@ सुमन जी सही कहा।
School ne waqayee badee amanweey harkat kee.
जवाब देंहटाएंऐसे सम्वेदनाहीन लोगों को स्कूल चलाने का कोई अधिकार नहीं है, घृणित मानसिकता रही होगी।
जवाब देंहटाएंराहुल सिंग साहब की टिप्पणी से सहमत हूं मुझे नही लगता कि ऐसा काम कोई भी व्यक्ति कर सकता है।
जवाब देंहटाएंशिक्षा का आज पूरी तरह से वैश्वीकरण हो चूका है, वहन शिक्षा नहीं दी जाती वयापार किया जाता है
जवाब देंहटाएंजब पैसा ही सबकुछ हो जाए तो फिर क्या कहा जा सकता है।
जवाब देंहटाएंस्कूल प्रशासन कि यह हरकत बहूत हि अमानवीय और निंदनीय है..
जवाब देंहटाएंऐसी परिस्थिती में स्कूल प्रशासन को उस बालक के परीजनो के साथ
सहानुभूती रखनी चाहिये ना कि बकाया फीस वासुलना चाहिये ...
बहूत दुखद घटना है..
bahut hi sharmnak ghatana hai . main shikshak hone ke nate kahata hun ki sabhi palakon ko apane bachhon ko is pathashala se t.c.nikalkar anyatra add. dena chahiye. wah achchhi shala nahi hai.
जवाब देंहटाएं@ क्षमा जी अमानवीयता की हद है।
जवाब देंहटाएं@ सुज्ञ जी घृणित मानसिकता के साथ ही कोई ऐसा कर सकता है। सच में इन्हें स्कूल चलाने का अधिकार नहीं।
@ अरूणेश जी, किसी इंसान का काम तो यह लगता नहीं!
@ राजपूत जी व्यवसाय ही हो गया है।
@ अजीत जी पैसा ही सब कुछ रह गया है, क्या करें....।
@ रीना जी सच में दुखद।
@ रमाकांत जी सही कहा आपने।
ऐसे स्कूल संचालकों को बर्खास्त कर देना चाहिए
जवाब देंहटाएंकल 09/01/2012 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
जवाब देंहटाएंधन्यवाद!
ये हादसा बहुत ही दर्दनाक है ..क्या कहूं स्कूलों की मानसिकता ..आज हम अभिभावक उनके हाथ की कठपुतलियाँ हैं ..सभी अपनी मनमानी करते हैं
जवाब देंहटाएंड्राईवर , शिक्षक सभी..बस यों समझिये भगवान् का नाम लेकर स्कूल भेजते हैं और जब बच्चा सकुशल घर आ जाता है तो फिर भगवान् का धन्यवाद..
ऐसे ही जी रहे हैं
kalamdaan.blogspot.com
शर्मनाक और अफसोसजनक
जवाब देंहटाएं..
बहुत ही शर्मनाक और निंदनीय ...
जवाब देंहटाएंbehad amaanviy aur shrmnaak.. of insaaniyat sharmshaar huvi..
जवाब देंहटाएं@ संजय जी ऐसे लोग स्कूल चलाने के लायक ही नहीं।
जवाब देंहटाएं@ यशवंत जी आभार।
@ रितू जी सही कहा। अभिभावक बच्चों को लेकर हमेशा चिंता में ही रहते हैं।
@ रतन जी सच में अफसोसनाक।
@ कैलाश जी जितनी निंदा की जाए कम है।
@ नूतन जी अमानवीयता की हद है यह।
बहुत शर्मनाक, कड़ी कार्यवाही होनी चाहिए......
जवाब देंहटाएंयह घटना तो बहुत ही दर्दनाक थी ....
जवाब देंहटाएंआज -कल इंसान पैसों के लिए कितनी भी हद तक गिर जाता है ,बच्चों के मामले में तो कम -से -कम अपनी आत्मा की आवाज सुन लेते .
बहुत शर्मनाक ......
जवाब देंहटाएंशर्मनाक और दर्दनाक
जवाब देंहटाएंस्कूल में फीस हमेशा अग्रिम ली जाती है ...किस हक से स्कूल ने फीस वसूल की ? बेहद शर्मनाक बात .. इसके खिलाफ आवाज़ उठानी चाहिए .
जवाब देंहटाएंस्कूल में फीस अग्रिम ली जाती है ... किस हक से बाद में फीस वसूल की गयी ? बेहद शर्मनाक बात .. इसके विरोध मेनावाज़ उठानी चाहिए ..
जवाब देंहटाएंबेहद अफसोसजनक और शर्मनाक घटना है यह ..इसके विरोध में आवाज उठानी ही चाहिए ।
जवाब देंहटाएंहै तकद्दुस दिलों में ज़र-ओ माल का ,
जवाब देंहटाएंजाने क्यों मंदिरों - मस्जिदों की तरह .
आज के स्कूल विद्यादान के स्थान नहीं बल्कि पैसे बनाने का कारखाना है और उसके कार्य में रत सभी लोग मशीन. मशीनों में कहीं संवेदनाएं होती हैं. ऐसे स्कूलों का बहिष्कार करना चाहिए
जवाब देंहटाएं@ सुनील जी, शर्मनाक ही है। कडी कार्रवाई होनी चाहिए पर अफसोस......
जवाब देंहटाएं@ रेखा जी, यदि आत्मा की आवाज सुन लेते तो शायद ऐसा नहीं होता।
@ निवेदिता जी आभार।
@ वर्ज्य नारी स्वर आभार।
@ संगीता जी सही कहा आपने।
@ सदा जी सही कहा।
@ रजनी जी आभार।
@ रेखा श्रीवास्तव जी आपने सही कहा।
अति निंदनीय और अमानवीय घटना है.
जवाब देंहटाएंसंवेदनाये मरती जा रही है....अब क्या कहा जाय .
जवाब देंहटाएंआजकल कहीं स्कूल होते भी हैं?
जवाब देंहटाएंये सब तो साहूकार की दुकानें हैं सपना दिखाने वालीं
शर्मनाक अमानवीय,ये स्कूल तो सिर्फ पैसा कमाने दूकान बन गयी है
जवाब देंहटाएंwelcom to new post --"काव्यान्जलि"--
manvata khatm hoti ja rhi hai...sahi kadam uthana bahut jaruri..
जवाब देंहटाएंशर्मनाक घटना
जवाब देंहटाएंvikram7: हाय, टिप्पणी व्यथा बन गई ....
शिक्षण संस्थानों की ऐसी असंवेदनशीलता है तो नैतिकता की उम्मीद अब किससे की जाए ?
जवाब देंहटाएं@ अरूण निगम जी सच में अमानवीय....
जवाब देंहटाएं@ उपेन्द्र जी, संवेदनाएं अब रहीं ही नहीं
@ पाबला जी सही कहा, साहूकारी ही चल रही है
@ धीरेन्द्र जी दूकानें ही हैं
@ मोनिका जी मानवता रही कहां अब
@ विक्रम जी सही कहा।
@ अमृता जी सच है, स्कूलें ऐसा कर रही हैं तो मानवता की उम्मीदें किससे करें....?