भास्कर भूमि। मेरे नए अखबार का विमोचन शनिवार को हुआ। अखबार का विमोचन किया नक्सल घटनाओं में शहीद हुए जवानों के छोटे-छोटे बच्चों, बुजुर्ग मां-पिताओं और पत्नियों ने। इसके इंटरनेट संस्करण पर अभी काम चल रहा है, फिर इस अखबार को नियमित रूप से http://bhaskarbhumi.com/ पर पढा जा सकता है।
अखबार के विमोचन अंक में प्रकाशित संपादकीय......................
नववर्ष-नवरात्रि के दिन अपना परिचय अंक प्रस्तुत करने के बाद फिर आपसे रूबरू हो रहे हैं हम। 23 मार्च के अंक में हमने आपसे वादा किया था कि भास्कर भूमि को आपकी अपनी आवाज बनाएंगे और आज फिर यह वादा दोहराते हैं हम। परिचय अंक आपके पास पहुंचा और इसके बाद हमारे पास तमाम तरह की प्रतिक्रिया पहुंची। हम आप सबके आभारी हैं कि आपने इस परिचय अंक में मौजूद खामियों की ओर हमारा ध्यान आकर्षित किया और हमें इसमें सुधार करने प्रेरित किया।
आज अखबार कि विमोचन समारोह है। विमोचन समारोह में आए सम्मानित अतिथियों और अखबार में लगातार मार्गदर्शक की भूमिका निभाने वाले पाठकों का तहे-दिल से स्वागत करते हुए हम एक बार फिर यकीन दिलाते हैं कि हम अपने अखबार के माध्यम से आपकी आवाज को मुकम्मल तौर पर शासन और प्रशासन तक पहुंचाने का काम करेंगे। हमारी कोशिश रहेगी कि हमारा अखबार, अखबारों की भीड़ में खोने के बजाय भीड़ की आवाज बनकर उभरे।
हम साफ तौर पर कहना चाहते हैं कि हमारा अखबार पूरी शिद्दत से जन सरोकारों के लिए लड़ाई लड़ता रहेगा और इसके लिए खबरों से किसी भी स्तर पर समझौता नहीं किया जाएगा। हमारी इस साफगोई का ऐसे लोग चेतावनी भी मान सकते हैं, जो जन समस्याओं से मुंह फेरे रहते हैं। लोकतंत्र में जनता पांच साल में एक बार राजा की भूमिका में रहती है और इसके बाद वह प्रजा हो जाती है। इसके बाद पांच साल के लिए जो राजा बनता है, दुर्भाग्य ही कहा जाएगा कि ज्यादातर अवसरों पर जनता से दूर हो जाता है। ऐसे लोगों के लिए भी हमारा अखबार चेतावनी का सबब लेकर आ रहा है। हम जन भावनाओं का ख्याल रखने वाले जन प्रतिनिधियों के प्रति आदर का भाव रखने में कोई भी देरी नहीं करेंगे तो ऐसे जन प्रतिनिधियों पर अपनी कलम से वार करने में जरा भी परहेज नहीं करेंगे जो जनता के सरोकारों से दूर हो रहे हैं।
इस साफगोई से की गई बात का आशय कतई यह नहीं निकाला जाना चाहिए कि हम निर्णायक की भूमिका में आना चाहते हैं। हम हर खबर में निष्पक्ष बने रहने की कोशिश करेंगे। किसी भी विषय पर, किसी से भी संबंधित खबर हो, हम हर पक्ष, हर पहलू पर चर्चा करने का प्रयास करेंगे। हम जनता की बात करेंगे, जन प्रतिनिधियों की बात करेंगे, अफसरों की बात करेंगे और निर्णय छोड़ देंगे पाठकों पर। हम कोई फैसला नहीं सुनाएंगे, हम सुझाव देंगे, ऐसे सुझाव जो जन हित में हों, जिससे ज्यादा से ज्यादा लोगों का हित जुड़ा हुआ हो।
आज हमें याद आ रही हैं पूर्व राष्ट्रपति और भारत के मिसाईल मैन डा. अब्दुल ·लाम साहब की वो बातें जो उन्होंने मीडिया को लेकर कहीं थीं। वे कहते हैं, ‘गांव में जाकर रिपोर्टिंग करें। गरीबी और विकास की खबरों पर रिपोर्टिंग करें। बुनियादी सुविधाओं की कमी को उजागर करें। लाखों के लिए नहीं, अरबों के लिए पत्रकारिता करें। ऐसी पत्रकारिता करें, जो पार्टियों के घोषणा पत्र में झलके।‘
हम ऐसी ही पत्रकारिता के पक्षधर हैं। ऐसा ही हम करना चाहते हैं। तमाम तरह के अखबारों और फिर करीब आठ साल विजुअल्स मीडिया में काम करने का अवसर मिला है। राजनांदगांव और प्रदेश की राजधानी रायपुर में काम करने का अनुभव है। करीब दो दशक की अपनी ‘नौकरी’ के दौरान पत्रकारिता को जिंदा रखने की हमेशा कोशिश की है। बाजारवाद के इस दौर में नैतिक मूल्य कहीं खोते प्रतीत होते तो कहीं स्वहित जनहित पर भारी पड़ता नजर आता। नई पारी शुरू कर रहा हूं। एक और मौका है, पत्रकारिता के धर्म को निभाने का और इस पर खरा उतरने की कोशिश रहेगी। कलाम साहब के सूत्र हमारे अखबार का सूत्र वाक्य होंगे और हम अपनी खबरों में हमेशा कोशिश करेंगे कि हम ऐसी खबरें प्रस्तुत करें जिसे जनता से सरोकार रखने वाली पार्टियां अपने घोषणा पत्र में शामिल करने बाध्य हों।
अपने परिचय अंक में हमने बात की थी, उसी बात को फिर से दोहराना चाहते हैं हम। अखबारों की भीड़ है और ऐसे में एक और अखबार। फिर से कहना चाहूंगा कि पत्रकारिता के मूल मापदंड का पालन करते हुए हम मौजूदा दौर में खबरों के सरोकार से दूर होते और बाजारवाद की ओर अग्रसर होते लोकतंत्र के चौथे स्तंभ को फिर से जनता के करीब लाने, उनकी बात शासन-प्रशासन तक पहुंचाने और आपका सच्चा हितचिंतक बनने का प्रयास करेंगे। मौजूदा दौर की पत्रकारिता में एक बड़ा बदलाव यह देखने में आ रहा है कि प्रिंट हो या फिर विजुअल्स मीडिया, खुद को न्यायाधीश मान बैठते हैं, जबकि होना यह चाहिए कि मीडिया सिर्फ वस्तुस्थिति को प्रस्तुत करे।
आज का पहला अंक आपको समर्पित करते हुए हम आपको बताना चाहते हैं कि आने वाले समय में हम अखबार में कई नए स्तंभ, कई नए प्रयोग करेंगे। हमारा हर प्रयोग आपसे जुड़ा होगा। हर प्रयोग के केन्द्र में आप होंगे और इसके लिए आपके सुझावों का, आपकी नसीहतों का इंतजार हमेशा रहेगा हमें। हमारे रिपोर्टर हमेशा आपकी तकलीफों के निराकरण के लिए तैयार रहेंगे। मौजूदा दौर में हमने यह महसूस किया है कि मीडिया नकारात्मकता की ओर ज्यादा आकर्षित हो रही है। शायद मीडिया संस्थानों का लगता होगा कि नकारात्मकता की ओर लोगों का ध्यान पहले जाता होगा.... हालांकि ऐसा पूरी तरह सच नहीं है। सकारात्मक खबरें भी पूरी शिद्दत से पढ़ी और समझी, अमल में लाई जाती हैं। हमारी कोशिश होगी कि ऐसी बातों को प्रमुखता से सामने लाएं जो सकारात्मकता से जुड़ी हो... जो लोगों को प्रेरणा देने का काम करे। हर दिन ऐसी एक खबर तो देने की कोशिश होगी ही, जो लोगों को प्रेरित कर सकती है, पर खबरों की भीड़ में कहीं खो जाती हैं। सप्ताह में एक दिन ऐसा तय करेंगे, जिस दिन को लेकर कोशिश हो, कि उस दिन की बैनर खबर ऐसी हो, जो लोगों को सकारात्मकता का संदेश दे।
कोई भी मीडिया संस्थान बगैर संसाधन के नहीं चल सकता। हमारे अखबार को भी आपके सहयोग, विज्ञापनों की दरकार रहेगी। प्रसार के लिहाज से हमारा अखबार पूरे छत्तीसगढ़ में पहुंचे, इसके लिए हमारी टीम लगातार कोशिश में जुटी हुई है। इसके साथ ही हमारे अखबार का इंटरनेट संस्करण विज्ञापनों के रूप में हमारे अखबार में प्रस्तुत की गई आपकी अभिव्यक्ति को ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाने का काम करेगा।
हम अपने अखबार में जन सरोकारों को प्राथमिकता देगे। हम अपने अखबार में उन लोगों का ख्याल रखेंगे जो हमारा यानि कि आम जन का ख्याल रखते हैं। अपनी जिम्मेदारी का ख्याल हमें है और इसी जिम्मेदारी का पालन करते हुए हम अपने अखबार का विमोचन करा रहे हैं, उनके हाथों जो हमारे गौरव का विषय हैं। उन मांओं के हाथों, जिनके बेटों ने अपनी शहादत देकर हमारी रक्षा का काम किया है। उन बच्चों के हाथों जिनसे उनके पिता का साया सदा के लिए छिन गया, उन देवियों के हाथों जिनकी मांग का सिंदूर मिट गया... नक्सलवाद ·की आंधियों में। हमारी लड़ाई हमेशा नक्सलवाद के खिलाफ रहेगी.... इसके खात्मे के लिए उठाए जाने वाले हर कदम पर हम पूरी शिद्दत से सुरक्षा अमले की मदद को तैयार रहेंगे।
आज के बाद से हर सुबह हम आपके दरवाजे पर दस्तक देंगे और आपको अपना अखबार समर्पित करते हुए भरोसा दिलाते हैं कि देश के प्रदेश के, आम जनों के हित को लेकर हमारा अखबार हमेशा संघर्ष करता रहेगा और यह तभी संभव हो पाएगा जब हमें आपका सहयोग मिले।
आज अखबार कि विमोचन समारोह है। विमोचन समारोह में आए सम्मानित अतिथियों और अखबार में लगातार मार्गदर्शक की भूमिका निभाने वाले पाठकों का तहे-दिल से स्वागत करते हुए हम एक बार फिर यकीन दिलाते हैं कि हम अपने अखबार के माध्यम से आपकी आवाज को मुकम्मल तौर पर शासन और प्रशासन तक पहुंचाने का काम करेंगे। हमारी कोशिश रहेगी कि हमारा अखबार, अखबारों की भीड़ में खोने के बजाय भीड़ की आवाज बनकर उभरे।
हम साफ तौर पर कहना चाहते हैं कि हमारा अखबार पूरी शिद्दत से जन सरोकारों के लिए लड़ाई लड़ता रहेगा और इसके लिए खबरों से किसी भी स्तर पर समझौता नहीं किया जाएगा। हमारी इस साफगोई का ऐसे लोग चेतावनी भी मान सकते हैं, जो जन समस्याओं से मुंह फेरे रहते हैं। लोकतंत्र में जनता पांच साल में एक बार राजा की भूमिका में रहती है और इसके बाद वह प्रजा हो जाती है। इसके बाद पांच साल के लिए जो राजा बनता है, दुर्भाग्य ही कहा जाएगा कि ज्यादातर अवसरों पर जनता से दूर हो जाता है। ऐसे लोगों के लिए भी हमारा अखबार चेतावनी का सबब लेकर आ रहा है। हम जन भावनाओं का ख्याल रखने वाले जन प्रतिनिधियों के प्रति आदर का भाव रखने में कोई भी देरी नहीं करेंगे तो ऐसे जन प्रतिनिधियों पर अपनी कलम से वार करने में जरा भी परहेज नहीं करेंगे जो जनता के सरोकारों से दूर हो रहे हैं।
इस साफगोई से की गई बात का आशय कतई यह नहीं निकाला जाना चाहिए कि हम निर्णायक की भूमिका में आना चाहते हैं। हम हर खबर में निष्पक्ष बने रहने की कोशिश करेंगे। किसी भी विषय पर, किसी से भी संबंधित खबर हो, हम हर पक्ष, हर पहलू पर चर्चा करने का प्रयास करेंगे। हम जनता की बात करेंगे, जन प्रतिनिधियों की बात करेंगे, अफसरों की बात करेंगे और निर्णय छोड़ देंगे पाठकों पर। हम कोई फैसला नहीं सुनाएंगे, हम सुझाव देंगे, ऐसे सुझाव जो जन हित में हों, जिससे ज्यादा से ज्यादा लोगों का हित जुड़ा हुआ हो।
आज हमें याद आ रही हैं पूर्व राष्ट्रपति और भारत के मिसाईल मैन डा. अब्दुल ·लाम साहब की वो बातें जो उन्होंने मीडिया को लेकर कहीं थीं। वे कहते हैं, ‘गांव में जाकर रिपोर्टिंग करें। गरीबी और विकास की खबरों पर रिपोर्टिंग करें। बुनियादी सुविधाओं की कमी को उजागर करें। लाखों के लिए नहीं, अरबों के लिए पत्रकारिता करें। ऐसी पत्रकारिता करें, जो पार्टियों के घोषणा पत्र में झलके।‘
हम ऐसी ही पत्रकारिता के पक्षधर हैं। ऐसा ही हम करना चाहते हैं। तमाम तरह के अखबारों और फिर करीब आठ साल विजुअल्स मीडिया में काम करने का अवसर मिला है। राजनांदगांव और प्रदेश की राजधानी रायपुर में काम करने का अनुभव है। करीब दो दशक की अपनी ‘नौकरी’ के दौरान पत्रकारिता को जिंदा रखने की हमेशा कोशिश की है। बाजारवाद के इस दौर में नैतिक मूल्य कहीं खोते प्रतीत होते तो कहीं स्वहित जनहित पर भारी पड़ता नजर आता। नई पारी शुरू कर रहा हूं। एक और मौका है, पत्रकारिता के धर्म को निभाने का और इस पर खरा उतरने की कोशिश रहेगी। कलाम साहब के सूत्र हमारे अखबार का सूत्र वाक्य होंगे और हम अपनी खबरों में हमेशा कोशिश करेंगे कि हम ऐसी खबरें प्रस्तुत करें जिसे जनता से सरोकार रखने वाली पार्टियां अपने घोषणा पत्र में शामिल करने बाध्य हों।
अपने परिचय अंक में हमने बात की थी, उसी बात को फिर से दोहराना चाहते हैं हम। अखबारों की भीड़ है और ऐसे में एक और अखबार। फिर से कहना चाहूंगा कि पत्रकारिता के मूल मापदंड का पालन करते हुए हम मौजूदा दौर में खबरों के सरोकार से दूर होते और बाजारवाद की ओर अग्रसर होते लोकतंत्र के चौथे स्तंभ को फिर से जनता के करीब लाने, उनकी बात शासन-प्रशासन तक पहुंचाने और आपका सच्चा हितचिंतक बनने का प्रयास करेंगे। मौजूदा दौर की पत्रकारिता में एक बड़ा बदलाव यह देखने में आ रहा है कि प्रिंट हो या फिर विजुअल्स मीडिया, खुद को न्यायाधीश मान बैठते हैं, जबकि होना यह चाहिए कि मीडिया सिर्फ वस्तुस्थिति को प्रस्तुत करे।
आज का पहला अंक आपको समर्पित करते हुए हम आपको बताना चाहते हैं कि आने वाले समय में हम अखबार में कई नए स्तंभ, कई नए प्रयोग करेंगे। हमारा हर प्रयोग आपसे जुड़ा होगा। हर प्रयोग के केन्द्र में आप होंगे और इसके लिए आपके सुझावों का, आपकी नसीहतों का इंतजार हमेशा रहेगा हमें। हमारे रिपोर्टर हमेशा आपकी तकलीफों के निराकरण के लिए तैयार रहेंगे। मौजूदा दौर में हमने यह महसूस किया है कि मीडिया नकारात्मकता की ओर ज्यादा आकर्षित हो रही है। शायद मीडिया संस्थानों का लगता होगा कि नकारात्मकता की ओर लोगों का ध्यान पहले जाता होगा.... हालांकि ऐसा पूरी तरह सच नहीं है। सकारात्मक खबरें भी पूरी शिद्दत से पढ़ी और समझी, अमल में लाई जाती हैं। हमारी कोशिश होगी कि ऐसी बातों को प्रमुखता से सामने लाएं जो सकारात्मकता से जुड़ी हो... जो लोगों को प्रेरणा देने का काम करे। हर दिन ऐसी एक खबर तो देने की कोशिश होगी ही, जो लोगों को प्रेरित कर सकती है, पर खबरों की भीड़ में कहीं खो जाती हैं। सप्ताह में एक दिन ऐसा तय करेंगे, जिस दिन को लेकर कोशिश हो, कि उस दिन की बैनर खबर ऐसी हो, जो लोगों को सकारात्मकता का संदेश दे।
कोई भी मीडिया संस्थान बगैर संसाधन के नहीं चल सकता। हमारे अखबार को भी आपके सहयोग, विज्ञापनों की दरकार रहेगी। प्रसार के लिहाज से हमारा अखबार पूरे छत्तीसगढ़ में पहुंचे, इसके लिए हमारी टीम लगातार कोशिश में जुटी हुई है। इसके साथ ही हमारे अखबार का इंटरनेट संस्करण विज्ञापनों के रूप में हमारे अखबार में प्रस्तुत की गई आपकी अभिव्यक्ति को ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाने का काम करेगा।
हम अपने अखबार में जन सरोकारों को प्राथमिकता देगे। हम अपने अखबार में उन लोगों का ख्याल रखेंगे जो हमारा यानि कि आम जन का ख्याल रखते हैं। अपनी जिम्मेदारी का ख्याल हमें है और इसी जिम्मेदारी का पालन करते हुए हम अपने अखबार का विमोचन करा रहे हैं, उनके हाथों जो हमारे गौरव का विषय हैं। उन मांओं के हाथों, जिनके बेटों ने अपनी शहादत देकर हमारी रक्षा का काम किया है। उन बच्चों के हाथों जिनसे उनके पिता का साया सदा के लिए छिन गया, उन देवियों के हाथों जिनकी मांग का सिंदूर मिट गया... नक्सलवाद ·की आंधियों में। हमारी लड़ाई हमेशा नक्सलवाद के खिलाफ रहेगी.... इसके खात्मे के लिए उठाए जाने वाले हर कदम पर हम पूरी शिद्दत से सुरक्षा अमले की मदद को तैयार रहेंगे।
आज के बाद से हर सुबह हम आपके दरवाजे पर दस्तक देंगे और आपको अपना अखबार समर्पित करते हुए भरोसा दिलाते हैं कि देश के प्रदेश के, आम जनों के हित को लेकर हमारा अखबार हमेशा संघर्ष करता रहेगा और यह तभी संभव हो पाएगा जब हमें आपका सहयोग मिले।
वीर तुम बढ़े चलो,
जवाब देंहटाएंधीर तुम बढ़े चलो...
स्वार्थपरता, सत्तावंदना, बाज़ारवादिता से अलग जन-सरोकारों की पत्रकारिता के भास्कर से नई भूमि आलोकित हो, इसी कामना के
साथ बहुत बहुत शुभकामनाएं...
जय हिंद....
अतुल जी,..आपने एक पेज ब्लागरों के अच्छे पोस्टो के लिए सुरक्षित रखने का वादा किया था उसका क्या हुआ....हम सभी का सहयोग आपके साथ है,बहुत२ शुभकामनाए ,......
जवाब देंहटाएंMY RECENT POST...काव्यान्जलि ...: आँसुओं की कीमत,....
शुभकामनाएं, कायम रहे आपका यह जज्बा.
जवाब देंहटाएंजनसरोकारोन्मुखी पत्रकारिता के लक्ष्य के साथ समाचारपत्र प्रारम्भ करने के लिए पुनः शुभकामनायें :)
जवाब देंहटाएंशुभकामनाएँ आपके इस मिशन के लिए !
जवाब देंहटाएंआपकी सराहनीय सोच को सबका साथ मिले ....बहुत बहुत शुभकामनाएं...
जवाब देंहटाएंबधाई.............और अनंत शुभकामनाएँ
जवाब देंहटाएंRachnatmak .
जवाब देंहटाएंऔरत को पियक्कड़ शराबियों के दरम्यान छोड़ देने का मतलब है उसे बर्बाद होने के लिए छोड़ देना ?
Bahuthee achha sampadakeey!Mubarakbad!
जवाब देंहटाएंमुबारक हो,
जवाब देंहटाएंइस लड़ाई में आप अकेले नहीं हैं।
Rape in military
http://blogkikhabren.blogspot.com/2012/04/blog-post_15.html
बहुत सुन्दर वाह! बहुत-बहुत बधाई
जवाब देंहटाएंआपकी यह ख़ूबसूरत प्रविष्टि कल दिनांक 16-04-2012 को सोमवारीय चर्चामंच-851 पर लिंक की जा रही है। सादर सूचनार्थ
बहुत बहुत शुभकामनाएं...अतुल जी
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत बधाई अतुल भाई..
जवाब देंहटाएंअखबार का लुक और पहले पेज का कलर कंबीनेशन आकर्षक है।
बहुत बहुत शुभकामनाएं आपके इस मिशन के लिए
जवाब देंहटाएंजय हो .......आपके हौसले को लाखों सलाम .....!
जवाब देंहटाएंआपको बहुत - बहुत बधाई और ढेर सारी शुभकामनाएँ
जवाब देंहटाएंआपका यह कार्य सफलतापूर्वक चलता रहे......:-)
विजयीभव:-)
बने भीड़ की यह सदा, परभावी आवाज |
जवाब देंहटाएंभेड़-भेड़ियों दुष्ट से, रक्षित रहे समाज |
रक्षित रहे समाज, भूमि पर आय भास्कर |
कर दे पावन सोच, दुष्टता -पाप जलाकर |
रविकर का विश्वास, हिफाजत करे नीड़ की |
सत्ता जाए चेत, सुने आवाज भीड़ की ||
हिम्मते मरदां मददे खुदा
जवाब देंहटाएंबहुत-बहुत बधाई
जवाब देंहटाएंआपकी सरहनीय सोच को सभी का साथ मिले बहुत-बहुत शुभकामनायें आपको....
जवाब देंहटाएंbahut achhi soch hai aapki... aam jan ki aawaj bankar aur aam jan ka vishwas hamesha bana rahe aur aapko is disha mein aashateet safalta mile yahi hamari haardik shubhkamnayen hai!
जवाब देंहटाएंSadar!
बहुत बढ़िया :) बधाई
जवाब देंहटाएंमेरी ओर से भी हार्दिक बधाइयाँ और शुभकामनायें स्वीकार करें !
जवाब देंहटाएंइस पोस्ट के लिए आपका बहुत बहुत आभार - आपकी पोस्ट को शामिल किया गया है 'ब्लॉग बुलेटिन' पर - पधारें - और डालें एक नज़र - चुनिन्दा पोस्टें है जनाब ... दावा है बदहजमी के शिकार नहीं होंगे आप - ब्लॉग बुलेटिन
बहुत बढ़िया .लगे रहो ...बधाई शुभकामनाए
जवाब देंहटाएंMY RECENT POST काव्यान्जलि ...: कवि,...
लिफाफे का पता ही बता रहा है कि भीतर मजमून क्या लिखा होगा
जवाब देंहटाएंप्रथम अंक के सफल विमोचन की बहुत बधाई। शुभकामनायें।
जवाब देंहटाएंप्रथम अंक के सफल विमोचन की बहुत बधाई।
जवाब देंहटाएंविमोचन की बहुत बधाई।शुभकामनायें।
जवाब देंहटाएंप्रथम अंक के सफल विमोचन की बहुत बधाई
जवाब देंहटाएंकृपया अवलोकन करे ,मेरी नई पोस्ट ''अरे तू भी बोल्ड हो गई,और मै भी''
अखबार के प्रथम अंक के विमोचन के लिय तहे दिल से बधाई. सदैव निष्पक्ष होकर खबरों का चयन हो, ये किसी भी पत्रकारिता से जुडी सबसे अहम बात होती है. आशा है आपका अखबार जन सरोकारों से जुड़ा एक प्रखर माध्यम बनेगा. भास्कर भूमि जनता की आवाज़ बने और इसके भविष्य की आशातीत सफलता के लिए आपको और आपकी टीम को हार्दिक शुभकामनाएँ.
जवाब देंहटाएंअतुल जी
जवाब देंहटाएंसबसे पहले क्षमा चाहता हूँ की समय पर सूचना मिलने के बाद भी ''भास्कर भूमि के प्रकाशन ,विमोचन पर आपको अपनी शुभकामनायें प्रेषित नहीं कर सका. कृपया मेरी हार्दिक शुभकामनायें स्वीकार करे.मुझे आशा ही नही पूर्ण विश्वास है,की आप के मार्गदर्शन में भास्कर की भाति भास्कर भूमि समाज से अन्धकार दूर कर समाचार व साहित्य जगत में नये तथा सार्थक मापदंड स्थापित करेगा. बहुत बहुत बधाई .
हार्दिक बधाई!
जवाब देंहटाएं------------
कल 23/04/2012 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
धन्यवाद!
बहुत बहुत शुभकामनाएं...
जवाब देंहटाएं