वीआईपी कौन होता है? वीआईपी होने का पैमाना क्या है? क्या वीआईपी वही होता है, जो राजनीति में ऊंचे ओहदे पर होता है? अब तक तो यही होता आया है और इस वीआईपी वर्ग के लिए आम आदमी यानि 'मैंगो मैन' को तमाम तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है। किसी भी शहर में किसी वीआईपी का आना हो तो यह वहां के और वीआईपी लोगों के लिए तो सुखद अहसास लेकर आता है लेकिन आम आदमी को इससे सिर्फ परेशानी ही मिलती है, दिक्कतें ही नसीब होती हैं।
वैसे तो सुप्रीम कोर्ट तक ने पहले ऐसे निर्देश कई बार जारी किए हैं कि किसी भी वीआईपी के लिए कहीं भी आम आदमी का रास्ता न रोका जाए, किसी आम आदमी के कामकाज को बाधित न किया जाए यानि ऐसा कोई काम न किया जाए जिससे आम आदमी को परेशानी हो लेकिन कानून का पालन सुनिश्चित करने वाले लोग ही इन निर्देशों की हर बार धज्जियां उड़ाते हैं और जहां भी किसी वीआईपी का आगमन हो, बैरिकेट्स लगाकर, पुलिस जवान खड़ा कर आम आदमी का रास्ता रोक दिया जाता है। किसी को भी किसी भी जरूरी काम से जाना हो, किसी की सुनवाई नहीं होती। कई बार इस तरह के मामले भी सामने आए हैं कि किसी वीआईपी आगमन के दौरान लगे जाम में एंबुलेंस जैसी वाहनें भी फंसी हो और किसी का जीवन संकट में फंस गया हो
लेकिन पुलिस और प्रशासन सब कुछ जानकर भी वीआईपी की सेवा सत्कार में लगा रहता है। यह स्थिति काफी चिंताजनक है।
अब एक खबर आई है उत्तरप्रदेश से। यहां हाईकोर्ट ने वीआईपी को दी जाने वाली सुविधा पर कड़ा एतराज जताया है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने वीआईपी शहरों को 24 घंटे बिजली देेने के एक मामले की सुनवाई करते हुए अफसरों को लताड़ लगाई है और कहा है कि वे इस संबंध में कोर्ट में 20 सितम्बर तक हलफनामा प्रस्तुत करे। इस संबंध में एक मामला दायर किया गया था जिस पर सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से पेश किए गए रोस्टर में कहा गया कि प्रदेश के छह जिले ऐसे हैं जहां आए दिन अतिविशिष्ट लोगों का आना होता रहता है इसलिए वहां चौबीसों घंटे बिजली का इंतजाम किया जाता है। बता दें कि उत्तरप्रदेश में बिजली संकट हावी है और कई इलाकों में घंटो बिजली बंद रहती है जबकि प्रदेश के रायबरेली, अमेठी, इटावा, मैनपुरी रामपुर और कन्नौज में चौबीसों घंटे बिजली की आपूर्ति की जाती है। इन इलाकों में निर्बाध बिजली आपूर्ति का कारण यह है कि इटावा, मैनपुरी और कन्नौज मुख्यमंत्री अखिलेश यादव, उनके पिता मुलायम सिंह यादव और सांसद पत्नी डिंपल यादव का क्षेत्र है जबकि रामपुर को प्रदेश के लोकनिर्माण मंत्री आजम खान के कारण वीआईपी दर्जा मिला हुआ है। अमेठी और रायबरेली सोनिया गांधी और राहुल गांधी के निर्वाचन क्षेत्र होने के कारण वीआईपी सुविधा भोग रहे हैं। इस असमानता को लेकर हाईकोर्ट में मामला दायर किया गया था।
वीआईपी के नाम पर अलग तरह की सुविधा, वीआईपी के लिए आम आदमी को परेशान करने का काम निरंतर जारी है और कोर्ट की सख्ती के बाद भी इस पर कहीं कोई रोक, बंदिश नहीं लगाई जा रही है जो एक तरह से न्यायालय की अवमानना है और इस तरह की अवमानना तकरीबन हर दिन हो रहा है। पर अफसोस कि कानून का पालन करने और कराने वाले लोग सब कुछ देखकर भी आंखों पर पट्टी बांधे बैठे हैं।
वैसे तो सुप्रीम कोर्ट तक ने पहले ऐसे निर्देश कई बार जारी किए हैं कि किसी भी वीआईपी के लिए कहीं भी आम आदमी का रास्ता न रोका जाए, किसी आम आदमी के कामकाज को बाधित न किया जाए यानि ऐसा कोई काम न किया जाए जिससे आम आदमी को परेशानी हो लेकिन कानून का पालन सुनिश्चित करने वाले लोग ही इन निर्देशों की हर बार धज्जियां उड़ाते हैं और जहां भी किसी वीआईपी का आगमन हो, बैरिकेट्स लगाकर, पुलिस जवान खड़ा कर आम आदमी का रास्ता रोक दिया जाता है। किसी को भी किसी भी जरूरी काम से जाना हो, किसी की सुनवाई नहीं होती। कई बार इस तरह के मामले भी सामने आए हैं कि किसी वीआईपी आगमन के दौरान लगे जाम में एंबुलेंस जैसी वाहनें भी फंसी हो और किसी का जीवन संकट में फंस गया हो
लेकिन पुलिस और प्रशासन सब कुछ जानकर भी वीआईपी की सेवा सत्कार में लगा रहता है। यह स्थिति काफी चिंताजनक है।
अब एक खबर आई है उत्तरप्रदेश से। यहां हाईकोर्ट ने वीआईपी को दी जाने वाली सुविधा पर कड़ा एतराज जताया है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने वीआईपी शहरों को 24 घंटे बिजली देेने के एक मामले की सुनवाई करते हुए अफसरों को लताड़ लगाई है और कहा है कि वे इस संबंध में कोर्ट में 20 सितम्बर तक हलफनामा प्रस्तुत करे। इस संबंध में एक मामला दायर किया गया था जिस पर सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से पेश किए गए रोस्टर में कहा गया कि प्रदेश के छह जिले ऐसे हैं जहां आए दिन अतिविशिष्ट लोगों का आना होता रहता है इसलिए वहां चौबीसों घंटे बिजली का इंतजाम किया जाता है। बता दें कि उत्तरप्रदेश में बिजली संकट हावी है और कई इलाकों में घंटो बिजली बंद रहती है जबकि प्रदेश के रायबरेली, अमेठी, इटावा, मैनपुरी रामपुर और कन्नौज में चौबीसों घंटे बिजली की आपूर्ति की जाती है। इन इलाकों में निर्बाध बिजली आपूर्ति का कारण यह है कि इटावा, मैनपुरी और कन्नौज मुख्यमंत्री अखिलेश यादव, उनके पिता मुलायम सिंह यादव और सांसद पत्नी डिंपल यादव का क्षेत्र है जबकि रामपुर को प्रदेश के लोकनिर्माण मंत्री आजम खान के कारण वीआईपी दर्जा मिला हुआ है। अमेठी और रायबरेली सोनिया गांधी और राहुल गांधी के निर्वाचन क्षेत्र होने के कारण वीआईपी सुविधा भोग रहे हैं। इस असमानता को लेकर हाईकोर्ट में मामला दायर किया गया था।
वीआईपी के नाम पर अलग तरह की सुविधा, वीआईपी के लिए आम आदमी को परेशान करने का काम निरंतर जारी है और कोर्ट की सख्ती के बाद भी इस पर कहीं कोई रोक, बंदिश नहीं लगाई जा रही है जो एक तरह से न्यायालय की अवमानना है और इस तरह की अवमानना तकरीबन हर दिन हो रहा है। पर अफसोस कि कानून का पालन करने और कराने वाले लोग सब कुछ देखकर भी आंखों पर पट्टी बांधे बैठे हैं।
सही कह रहे हैं अतुल जी आप . ''बेरोजगारों की भीड़ ''.
जवाब देंहटाएंसमानता हर जगह हर क्षेत्र में होनी चाहिए,,,
जवाब देंहटाएंRECENT POST -मेरे सपनो का भारत
जवाब देंहटाएंsaarthak aur saamayik post, aabhar.
कह तो आप सही रहे हैं, लेकिन यह स्थिति केवल एक प्रदेश या केवल अकेले भारत देश में नहीं है। लोकतांत्रिक व्यवस्था वाले देशों में तो कई वी0आई0पी0 होते हैं जबकि अधिनायकवादी देशों में एक वी0आई0पी0 होता है तो महलों में रहता है और सारी सुविधाओं का उपभोग करता है, जैसे सद्दाम हुसैन या मुअम्मार गद्दाफी।
जवाब देंहटाएंआमजन से बढ़कर कोई न हो.... देश तो जनता से बनता है
जवाब देंहटाएंहर जगह हर क्षेत्र में समानता होनी चाहिए !!!
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